Monday, August 11, 2014

श्री राम रक्षा कवच Prayoga of Ram Raksha Kavach Part 2

श्री राम महारक्षा कवच || Shri Ram Maharakshaa Kavach
ॐ श्री राजा रामचन्द्राय नम: Om Shri Raajaa Raamchandraaya namaha
ॐ श्री जानकी वल्लभाय नम: Om Shri Jaanaki vallabhaaya namaha
ॐ श्री दशरथ तनय नम: Om Shri Dasharatha tanaya namaha
ॐ श्री अवधेशाय नम: Om Shri avadheshaaya namaha
ॐ श्री कौश्लेंद्राय नम: Om Shri kaushalendraaya namaha

।। श्री राम रक्षा कवच ।। Shri Ram rakshaa Kavach

कानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे, Kanan bhudhar baari bayaari mahavish vyaadhi davaa ari ghere       
संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न मेरे! Sankat koti jahan tulasi suta maatpitaa hita bandhu na mere
राखिहैं राम कृपालु तहां हनुमान से सेवक हैं जेहि केरे, raakhihain raama krupaalu tahaan hanuman se sevaka hain jehi kere
नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे!! Naak rasaatala bhutala maah raghunayak ek shayak mere

।। समाप्तम् ।। The End

5 comments:

  1. ।। श्री राम रक्षा कवच ।। Shri Ram rakshaa Kavach

    कानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे, Kanan bhudhar baari bayaari mahavish vyaadhi davaa ari ghere
    संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न मेरे! Sankat koti jahan tulasi suta maatpitaa hita bandhu na mere
    राखिहैं राम कृपालु तहां हनुमान से सेवक हैं जेहि केरे, raakhihain raama krupaalu tahaan hanuman se sevaka hain jehi kere
    नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे!! Naak rasaatala bhutala maah raghunayak ek shayak mere

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  2. Jitne tare gagan mai utne satru hoe krepa rahe shree ram ki baal na bako hoe.

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  3. इन पंक्तियों का सरल अर्थ बताएं

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  4. इन पंक्तियों का अर्थ बताएं

    !! श्री राम रक्षा कवच !!
    कानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे,
    संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न नेरे !
    राखिहैं राम कृपालु तहां हुनुमान से सेवक हैं जेहि केरे,
    नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे !!

    ——————————————————

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  5. अर्थ—वन, पहाड़, पानी और हवा में और जहाँँ विष, व्याधि, अग्नि और वैरी घेरते हैं, जहाँ सैकड़ों सङ्कट हैं, हे तुलसी! और न भाई, न माता, न पिता, न हितू हैं, वहाँ रामचन्द्र ही रक्षा करेंगे, जिनके हनुमान् से सेवक हैं। आकाश, पाताल, पृथ्वी सब में एक रघुनाथ ही मेरे सहायक हैं।

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