श्री राम महारक्षा कवच || Shri Ram Maharakshaa Kavach
ॐ श्री राजा रामचन्द्राय नम: Om
Shri Raajaa Raamchandraaya namaha
ॐ श्री जानकी वल्लभाय नम: Om Shri
Jaanaki vallabhaaya namaha
ॐ श्री दशरथ तनय नम: Om Shri Dasharatha
tanaya namaha
ॐ श्री अवधेशाय नम: Om Shri avadheshaaya
namaha
ॐ श्री कौश्लेंद्राय नम: Om Shri
kaushalendraaya namaha
।। श्री राम
रक्षा कवच ।। Shri Ram rakshaa Kavach
कानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे, Kanan bhudhar baari bayaari mahavish vyaadhi davaa ari
ghere
संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न मेरे! Sankat koti jahan tulasi suta maatpitaa hita bandhu na
mere
राखिहैं राम कृपालु तहां हनुमान से सेवक हैं जेहि केरे, raakhihain raama krupaalu tahaan hanuman se sevaka hain
jehi kere
नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे!! Naak rasaatala bhutala maah raghunayak ek shayak mere
।। समाप्तम् ।। The End
।। श्री राम रक्षा कवच ।। Shri Ram rakshaa Kavach
ReplyDeleteकानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे, Kanan bhudhar baari bayaari mahavish vyaadhi davaa ari ghere
संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न मेरे! Sankat koti jahan tulasi suta maatpitaa hita bandhu na mere
राखिहैं राम कृपालु तहां हनुमान से सेवक हैं जेहि केरे, raakhihain raama krupaalu tahaan hanuman se sevaka hain jehi kere
नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे!! Naak rasaatala bhutala maah raghunayak ek shayak mere
Jitne tare gagan mai utne satru hoe krepa rahe shree ram ki baal na bako hoe.
ReplyDeleteइन पंक्तियों का सरल अर्थ बताएं
ReplyDeleteइन पंक्तियों का अर्थ बताएं
ReplyDelete!! श्री राम रक्षा कवच !!
कानन भूधर बारि बयारि महाविष व्याधि दवा अरि घेरे,
संकट कोटि जहाँ तुलसी सुत मातपिता हित बन्धु न नेरे !
राखिहैं राम कृपालु तहां हुनुमान से सेवक हैं जेहि केरे,
नाक रसातल भूतल माह रघुनायक एक सहायक मेरे !!
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अर्थ—वन, पहाड़, पानी और हवा में और जहाँँ विष, व्याधि, अग्नि और वैरी घेरते हैं, जहाँ सैकड़ों सङ्कट हैं, हे तुलसी! और न भाई, न माता, न पिता, न हितू हैं, वहाँ रामचन्द्र ही रक्षा करेंगे, जिनके हनुमान् से सेवक हैं। आकाश, पाताल, पृथ्वी सब में एक रघुनाथ ही मेरे सहायक हैं।
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