Practice or
Prayoga of
राम रक्षा प्रयोग
It is an infallible device.
Whatever may be the adversities and difficulties in your life, Shriramraksha
mahamantra, Shriramraksha kavach and Shriramraksha Stotra’s repeated prayers
offers wonderful and guaranteed results and there is no alternative to it.
Shriramraksha mahamantra,
Shriramraksha kavach and Shriramraksha Stotra, all the three together is called
Shriramraksha Prayoga. This prayoga is done in front of a Shrirama statue or
portrait.
This Prayoga if repeated 11
mala (108 x 11) (In the
following is the Prayoga of Ram Raksha kavach
at the time of महामन्त्रः) at a time
will be effective for a day. And if done continuously for 45 days it gets more
effective.
Its effectiveness increases
many folds if done during the nine days of navaratra.
1. Vasanta Navaratri: Vasanta
Navaratri, in the month of Chaitra (March–April) and is observed during the
Shukla Paksha (waxing phase of moon) of Chaitra. The beginning of this Navratri
also marks the start of the New Year as per the Hindu mythological lunar
calendar (Vikrami Samvat).
2. Ashadha Navratri: Gupta
Navaratri, also referred as Ashadha or Gayatri or Shakambhari Navaratri, in the
month of Ashadha (June–July). Gupta Navaratri is observed during the Ashadha
Shukla Paksha (waxing phase of moon).
3. Sharad Navaratri: This
is the most important of the Navaratris. It is simply called Maha
Navaratri (the Great Navratri) and is celebrated in the 'pratipada'
(first day) of the bright fortnight of the lunar month of Ashvina. Also known
as Sharad Navaratri, as it is celebrated during Sharad (beginning of winter, September–October).
4. Paush Navaratri: Paush
Navaratri is nine days the month of Margashirsh (December–January). Paush
Navaratri is observed during the Paush Shukla Paksha (waxing phase of moon).
5. Magha Navaratri: Magha
Navaratri, the month of Magha (January–February). Magha Navaratri is observed
during the Magha Shukla Paksha (waxing phase of moon).You should do prayer
sitting on some Asan or mat.
You can do some
ramraksha mantra prayoga as follows:
Take some
mustard seeds in a cup. The cup should be placed in a piece of woolen cloth or
silk cloth. While doing the prayer keep moving the mustard seeds in the cups
with your fingers.
By doing the
prayers of 11 mala the mustard seeds gets energized. You can keep it (mustard
seeds in the cup) safely in the place of puja. At cases of disputes or court
cases throw the seeds in front of your opposite party. You will surely get
success.
In case of
Sports, competition or job interview keep this mustard seeds in a clean envelop
in your pocket. You will get success.
In case some of
foreboding of some untoward incident, Keep it with you nothing untoward will
happen.
Another
prayoga:
While doing
prayers take some water in a copper cup, keep it holding while doing prayer.
Concentrate on the intent (meaning) of the prayers and think that the energy of
the prayer is flowing through you to the cups and water in it. This water cures
deseases.
यह एक अमोघ प्रयोग है। कैसी भी आपद-विपदा हो, श्रीरामरक्षामहामन्त्र, श्री “राम रक्षा कवच” और श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करें, राम जी अच्छा ही करेंगे इससे चमत्कारी रक्षा कवच और कोई हो ही नहीं सकता—
राम रक्षा स्त्रोत को ग्यारह बार एक बार में पढ़ लिया जाए तो पूरे दिन तक इसका प्रभाव रहता है। अगर आप रोज ४५ दिन तक राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं तो इसके फल की अवधि बढ़ जाती है। इसका प्रभाव दुगुना तथा दो दिन तक रहने लगता है और भी अच्छा होगा यदि कोई राम रक्षा स्त्रोत को नवरात्रों में प्रतिदिन ११ बार पढ़े ।
वसंत नवरात्री: वसंत नवरात्री चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष (मार्च -अप्रैल) में आता है| इस नवरात्र का आरंभ हिंदु नववर्ष विक्रमी संवत के आरंभ से होता है|
आषाढ नवरात्री: आषाढ नवरात्र आषाढ महीने के शुक्ल पक्ष (जून-जुलाई) में आता है| गु्प्त नवरात्री आषाढ शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है|
शरद नवरात्री: यह नवरात्रों में सबसे प्रमुख है| यह महा नवरात्री के नाम से जाना जाता है और अश्विन महीने (सेप्टेम्बर- अक्टोबर) के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से शुरु होता है |
पौष नवरात्री: पौष नवरात्र पौष महीने के शुक्ल पक्ष (दिसम्बर-जनवरी) में आता है|
माघ नवरात्री: माघ नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष (जनवरी-फरवरी) में आता है|
सरसों के दाने एक कटोरी में रख लें। कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए। राम रक्षा मन्त्र को ११ माला पढ़ें, 1 माला =108 आवृति (repetitions) (निम्नलिखित प्रयोग में महामन्त्रः के समय) और इस दौरान आपको अपनी उँगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहना है। ध्यान रहे कि आप किसी आसन पर बैठे हों और राम रक्षा यंत्र आपके सम्मुख हो या फिर श्री राम कि प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मन्त्र पढ़ना है। ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जायेगी और आप उस सरसों के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें। जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें। सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
वाद विवाद या मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दाने साथ लेकर जाएँ और वहां डाल दें जहाँ विरोधी बैठता है या उसके सम्मुख फेंक दें। सफलता आपके कदम चूमेगी।
खेल या प्रतियोगिता या साक्षात्कार में आप सिद्ध सरसों को साथ ले जाएँ और अपनी जेब में रखें।
अनिष्ट की आशंका हो तो भी सिद्ध सरसों को साथ में रखें।
यात्रा में साथ ले जाएँ आपका कार्य सफल होगा।
राम रक्षा स्त्रोत से पानी सिद्ध करके रोगी को पिलाया जा सकता है परन्तु पानी को सिद्ध करने कि विधि अलग है। इसके लिए ताम्बे के बर्तन को केवल हाथ में पकड़ कर रखना है और अपनी दृष्टि पानी में रखें और महसूस करें कि आपकी सारी शक्ति पानी में जा रही है। इस समय अपना ध्यान श्री राम की स्तुति में लगाये रखें। मन्त्र बोलते समय प्रयास करें कि आपको हर वाक्य का अर्थ ज्ञात रहे।
The following is the Prayoga of Ram Raksha kavach
-------------------------------------
श्रीरामरक्षामहामन्त्रः “श्रीराम जय राम जय जय राम” ही है Shriramaa Jairaama Jai Jai raama raama is the
Rama Raksha Mantra
श्रीरामरक्षामहामन्त्रः प्रयोग: Shri Rama Raksha Maha Mantra Practice:
Say the mantras and touch the relevant parts of the body
indicated in the bracket
अस्य श्रीरामरक्षामहामन्त्रस्य । Asya Shriramraksha mantrasya
बुधकौशिक ऋषि: । (शिरसि) Budha
Koushika Rishi (touch the head)
श्रीरामचंद्रो देवता । (मुखे) Shriramchandro
devatha (touch the mouth)
गायत्री छन्द: । (हृदये) Gayatri
chandaha (touch the heart)
श्रीराम इति बीजं । (दक्षिण भुजे) Shrirama iti beejam (touch the right hand)
जय जय राम इति शक्ति: । (वाम भुजे) Jai Jai ram
iti shaktihi (touch the
left hand)
जय राम इति कीलकम् । (नाभौ) Jai ram iti keelakam (touch the navel)
श्रीरामचंद्र प्रसाद सिद्धयर्थे जपे विनियोग:॥ Shriramchandra prasada siddhyarthe jape viniyogaha
(i) श्रीराम - अंगुष्ठाभ्यां नमः, (i) Shriram – Angushthabhyam namha, (touch the thumb and slide it over from its
roots to tip with the other hand)
(ii) जय राम - तर्जनीभ्यां नमः, (ii) Jairama – tarjanibhyam namaha, (touch with
the thumb and slide it over the fore finger from its roots to tip)
(iii) जय जय राम - मध्यमाभ्यां नमः, (iii) Jai Jai rama – madhyabhyam namaha, (touch with
the thumb and slide it over the middle finger from its roots to
tip)
(iv) श्रीराम - अनामिकाभ्यां नमः, (iv) shriram -
anamikabhyam namaha, (touch with the thumb and slide it over the ring
finger from its roots to tip)
(v) जय राम - कनिष्ठाभ्यां नमः (v) Jai rama -
kanishthikabhyam namaha, (touch with the thumb and slide it over the
little finger from its roots to tip)
(vi) जय जय राम - करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः Jai Jai rama--Karatala karatala
karapruthabhyam namah- (Touch the palms and slide it over the each other) दोनो हथेलियों को एक-दूसरे की सहायता से सहलायें|
इति करन्यास: ।।
हृदयादिन्यास: ।। hrudayadi nyasaha |
(i) श्रीराम -हृदयाय नमः नमः, (i) shriram – Hrudayay namha,
(touch the little finger and thumb and keep the other fingers together and
touch the heart with these three fingers)
(ii) जय राम - शिरसे स्वाहा (ii) jairama – Shirase svaha, (With the middle finger and
ring finger touch the forehead)
(iii) जय जय राम -शिखायै वषट्, (iii) Jai Jai rama – Shikhayai vashat, (With the thumb touch
the hairs)
(iv) श्रीराम - कवचाय हुम्, (iv) shriram - kavachaya hum, (With the ten fingers
touch and slide it over the forehands (भुजा) with each other hand)
(v) जय राम - नेत्रत्रयाय वौषट् (v) jai rama -
netra trayay voushat, (Like hrudya nyas leave the little finger and thumb and
keep the other fingers together and touch both eyes and the center of forehead
with these three fingers)
(vi) जय जय राम - अस्त्राय फट् (vi) Jai jai rama --Astrya fat (With the right forefinger
and middle finger go around your head and then snap your right hand
fingers)
इति अंगन्यासश्च ।।
भूर्भुवसुस्वरोमिति दिग्बंधः।। (make clock wise movement around your head and then clap)
(vi) Jai Jai rama
– karatala prushthabhyam namaha iti karanyasaha, anganyasashcha,
bhurbhuvasuvsromiti digbandhaha, (touch the both front and back of your hand
with the other hand)(digbandah means sealing safely all the ten directions from
attacks)
ध्यानम् ।। dhyanam
मन्त्रः।।
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं shantam shashvatam aprameyam anagham
nirvana shantipradam
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्। brahma shambhu phanindra sevyam anisham
vedanta vedyam vibhum
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं ramakhyam jagadishvaram suragurum maayaa
manushyam harim
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥ vandeham karunakaram raghuvaram
bupalachudamanim
लं इत्यादि पंच पूजा॥ lam ityadi panch puja
लं - पृथिव्यात्मने गन्धं समर्पयामि lam – lam - pruthivyatmane gandham samarpayami
हं- आकाशात्मने पुष्पै पूजयामि- ham - akashatmane pushapai pujayami
यं- वाय्वात्मने धूपमाघ्रापयामि yam- vayavatmane
dupam aghrapayami
रं - अग्न्यात्मने दीपं दर्शयामि ram- agnyatmane dipam
darshayami
वं - अमृतात्मने अमृतं महानैवेद्यं निवेदयामि vam- amrutatmane
amrutam mahanaivedyam nivedayami
सं - सर्वात्मने सर्वोपचार पूजां समर्पयामि sam- sarvatmane
sarvopachara pujam samarpayami
महामन्त्रः
श्रीराम जय राम जय जय राम ॥ Shriramaa Jairaama Jai Jai raama
raama (१०८ या यथाशक्ति जाप करें| इस मन्त्र का 1008 जाप (10 माला) आधे घंटे में हो जाता है| (do
the repetitions or japa for 108 times or more as many times as possible. I
takes half an hour for 1008 times jap or 10 malas of this mantra.)
हृदयादिन्यास: ।। hrudayadi nyasaha |
(i) श्रीराम -हृदयाय नमः नमः, (i) shriram – Hrudayay namha,
(touch the little finger and thumb and keep the other fingers together and
touch the heart with these three fingers)
(ii) जय राम - शिरसे स्वाहा (ii) jairama – Shirase svaha, (With the middle finger and
ring finger touch the forehead)
(iii) जय जय राम -शिखायै वषट्, (iii) Jai Jai rama – Shikhayai vashat, (With the thumb touch
the hairs)
(iv) श्रीराम - कवचाय हुम्, (iv) shriram - kavachaya hum, (With the ten fingers
touch and slide it over the forehands (भुजा) with each other hand)
(v) जय राम - नेत्रत्रयाय वौषट् (v) jai rama -
netra trayay voushat, (Like hrudya nyas leave the little finger and thumb and
keep the other fingers together and touch both eyes and the center of forehead
with these three fingers)
(vi) जय जय राम - अस्त्राय फट् (vi) Jai jai rama --Astrya fat (With the right forefinger
and middle finger go around your head and then snap your right hand
fingers)
इति अंगन्यास ।।
भूर्भुवसुस्वरोमिति दिग्विमोकः।। (make anti-clock wise movement around your head and then
clap)
bhuha bhuvaha suvaha om iti digvimokaha (digvimokaha
means removing the sealings made on all the ten directions from attacks)
ध्यानम् ।। (समाप्ति) (dhyana ends)
लं इत्यादि पुनः पूजा ॥ lam ityadi panch punaha puja
लं - पृथिव्यात्मने गन्धं समर्पयामि lam – lam - pruthivyatmane gandham samarpayami
हं- आकाशात्मने पुष्पै पूजयामि- ham - akashatmane pushapai puJaimi
यं- वाय्वात्मने धूपमाघ्रापयामि yam- vayavatmane
dhupam aghrapayami
रं - अग्न्यात्मने दीपं दर्शयामि ram- agnyatmane dipam
darshayami
वं - अमृतात्मने अमृतं महानैवेद्यं निवेदयामि vam- amrutatmane
amrutam mahanaivedyam nivedayami
सं - सर्वात्मने सर्वोपचार पूजां समर्पयामि sam- sarvatmane
sarvopachara pujam samarpayami
समर्पणम् ।। (surender)
गुह्याति गुह्य गोप्ता (or गोप्त्री) त्वं गृहाणास्मत जपं guhyaati
guhya goptaa (or in case of female goptri) tvam gruhaanaasmat japam
सिद्धिर्भवतु मे देव त्वत्प्रसादान्मयि स्थिरा ॥ siddhirbhavatu may devi tvatprasaadanmayi
sthira
नान्या स्पृहा रघुपते हृदये अस्मदीये naanyaa spruhaa raghupate hrudaye
asmadeeye
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा ॥ satyam vadami cha bhavaankhilaantaraatmaa
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरा मे bhaktim
pyayachcha raghupungavam nirbhara may
कामादि दोष रहितं कुरु मानसं च ॥ kaamaadi dosharahitam kuru maanasam cha ||
।। समाप्तम् ।। The End
Practice or
Prayoga of Shri Rama Raksha Maha Mantra
No comments:
Post a Comment