किसी व्यक्ति के घर
में सुख-शांति
नही है, धन
की बहुत कमी
है, कई तरह
की परेशानियाँ है,
किसी तरह की
कोई सफलता नही
मिल रही है
तो जीवन से
जुड़ी सभी मुसीबतों
को मिटाने के
लिए व लक्ष्मी
कृपा प्राप्ति के
लिए ये 81 लक्ष्मी
उपाय ज़रूर करें।
ये सभी उपाय
किसी भी त्यौहार
या श्रेष्ठ मुहूर्त
में किए जा
सकते है व
किसी भी राशि
के लोगों के
द्वारा किए जा
सकते है।
लक्ष्मी पूजन में
एकाक्षी नारियल या समुद्री
नारियल की पूजा
करें व इसे
व्यवसाय स्थल पर
रखें। ऐसा करने
से व्यवसाय में
कभी घाटा नही
लगेगा।
कमलगट्टे की माला
से दीपावली की
रात्रि में या
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में अनुष्ठान
करें। इसके पश्चात
माला को तिजोरी
या पूजा वाले
स्थान पर रख
दें।
लक्ष्मी पूजन में
शंख, मोती, सीप,
कौड़ी आदि चीज़ें
रखें। पूजन के
पश्चात इन चीज़ों
को तिजोरी में
रखने पर धन
में वृद्धि होती
है।
दीपावली पर या
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में प्रमुख
द्वार पर लक्ष्मी
के गृहप्रवेश के
लिए चरण स्थापित
करें।
श्रीयंत्र,
कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र
को पूजन के
पश्चात तिजोरी में रख
दें।
महालक्ष्मी
के अष्ट स्वरूप
धनलक्ष्मी या वैभवलक्ष्मी,
गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, ऐश्वर्य
लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी,
धान्य लक्ष्मी, संतान
लक्ष्मी की आराधना
करें।
दक्षिणावर्ती
शंख के पूजन
व स्थापना करने
से सुख की
प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी के साथ
51 कौडिय़ों की पूजा
कर उन्हें पूजास्थल,
तिजोरी एवं व्यवसाय
स्थल पर रखना
शुभ फलदायी होता
है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने
घर में बनी
रोटियों में से
पहली रोटी गाय
को ज़रूर खिलाएँ।
घर में नकदी
और गहने-जेवरात
की अलमारियां दक्षिण
या पश्चिम की
दीवारों पर हों
और उत्तर या
पूर्व की ओर
खुलें। इन अलमारियों
पर कोई दर्पण
न हो।
धनतेरस को भोजपत्र
पर श्रीयंत्र बनाने
के बाद दीपावली
के दिन या
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में इसे
सिद्ध कर तिजोरी
में स्थापित करें।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में पारद
शिवलिंग की स्थापना
करें व पारद
गणेश की आराधना
करें। पारद लक्ष्मी
की आराधना को
भी ऐश्वर्य देने
वाली माना गया
है।
स्फटिक श्रीयंत्र व स्फटिक
माला का उपयोग/स्थापना भी की
जाती है। माला
सिद्धि के बाद
उससे लक्ष्मी मंत्र
जाप एवं कनकधारा
स्तोत्र अनुष्ठान किया जा
सकता है।
दीपावली पर या
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में रामरक्षा
स्तोत्र का पाठ
व अनुष्ठान करने
से सफलता एवं
ऐश्वर्य की प्राप्ति
होती है।
सर्वपितृ अमावस को पितर
वापस नहीं जाते
हैं, वे धरती
पर ही रहते
हैं। वे लौटते
हैं दिवाली की
रात में। चूंकि
पितरों को जाने
के लिए मार्ग
पर प्रकाश की
आवश्यकता होती है,
अत: इस रात
दीपों की पंक्तियां
लगाकर पितरों के
वापसी का मार्ग
प्रकाशित किया जाता
है। इससे यम
प्रसन्न होते हैं
और पितरों की
कृपा भी मिलती
है।
यम और यमुना
की कथा हमें
बताती है कि
हम चाहे जितने
भी महत्वपूर्ण कार्यों
में व्यस्त हों,
हमें अपने प्रियजनों
से मेल-मिलाप
के लिए समय
निकालना ही चाहिए
और हमेशा उनके
कल्याण की कामना
करनी चाहिए। यही
इस पर्व का
शुभ संदेश है।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में लक्ष्मी
पूजन करते समय
हकीक की पूजा
भी करनी चाहिए।
पूजन के बाद
हकीक को धारण
करने से धन
की वृद्धि होती
है।
गणेशजी ऋद्धि और सिद्धि
के स्वामी हैं
और महालक्ष्मी धन
की देवी हैं।
अत: इन दोनों
का संयुक्त यंत्र
पूजन में रखने
से श्रीगणेश के
साथ ही लक्ष्मी
की कृपा भी
प्राप्त होती है।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में सुबह गन्ने
की जड़ लेकर
आएं। इसके बाद
रात्रि में लक्ष्मी
पूजन करें तब
गन्ने की इस
जड़ की भी
पूजा करनी चाहिए।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में पति-पत्नी
सुबह-सुबह लक्ष्मी-विष्णु मंदिर जाएं
और वहां देवी
लक्ष्मी को वस्त्र
आदि अर्पित करें।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में लक्ष्मी
पूजन के समय
कमल के पुष्प
अर्पित करें और
कमल गट्टे की
माला से लक्ष्मी
मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै
नम: का जप
करें। इससे देवी
लक्ष्मी की प्रसन्नता
प्राप्त होती है।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में लक्ष्मी के
साथ ही अशोक
के वृक्ष की
जड़ का पूजन
भी करना चाहिए।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में सुबह जल्दी
उठें और तांबे
के लोटे में
जल लें और
उसमें लाल मिर्ची
के बीज डालकर
सूर्य को अर्पित
करें।दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में सुबह जल्दी
उठें और तांबे
के लोटे में
जल लें और
उसमें लाल मिर्ची
के बीज डालकर
सूर्य को अर्पित
करें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में किसी ऐसे
शिव मंदिर में
जाएं जो श्मशान
में स्थित हो।
उस मंदिर में
शिवलिंग पर दूध,
जल आदि अर्पित
करें। दीपक लगाएं।
इस उपाय स्थाई
लक्ष्मी की प्राप्ति
होती है।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में सुबह जल्दी
उठें और नित्य
कर्मों से निवृत्त
होकर तुलसी के
पत्तों की माला
बनाएं और इसे
महालक्ष्मी को अर्पित
करें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में हल्दी की
11 गांठ लेकर आएं
और रात में
लक्ष्मी के साथ
ही इनकी भी
पूजा करें। इसके
बाद पीले कपड़े
में बांधकर तिजोरी
में रखें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में किसी मंदिर
में एक सुपारी
और तांबे का
लोटा रख आएं।
इसके साथ ही
कुछ दक्षिणा भी
रखें। इस उपाय
से भी देवी-देवताओं की कृपा
प्राप्त होती है।
अमावस्या तिथि पर
पीपल के वृक्ष
को जल अर्पित
करना चाहिए। ऐसा
करने पर शनि
के दोष और
कालसर्प दोष समाप्त
हो जाते हैं।
ज्योतिष और सभी
धर्म शास्त्रों के
अनुसार एक पीपल
का पौधा लगाने
वाले व्यक्ति को
जीवन में किसी
भी प्रकार को
कोई दुख नहीं
सताता है। पीपल
का पौधा लगाने
के बाद उसे
नियमित रूप से
जल अर्पित करना
चाहिए।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में झाड़ू अवश्य
खरीदना चाहिए। पूरे घर
की सफाई नई
झाड़ू से करें।
आंकड़े के गणेशजी
की पूजा व
स्थापना से सम्पन्नता
का आशीष मिलता
है।
लक्ष्मी पूजन में
सुपारी रखें। सुपारी पर
लाल धागा लपेटकर
अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि
पूजन सामग्री से
पूजा करें और
पूजन के बाद
इस सुपारी को
तिजोरी में रखें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में लक्ष्मी पूजा
करते समय एक
बड़ा घी का
दीपक जलाएं, जिसमें
नौ बत्तियां लगाई
जा सके। सभी
9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी
पूजा करें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में तेल का
दीपक जलाएं और
दीपक में एक
लौंग डालकर हनुमानजी
की आरती करें।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में ब्रह्म मुहूर्त
में उठें और
स्नान करते समय
नहाने के पानी
में कच्चा दूध
और गंगाजल मिलाएं।
दीपावली या किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में ब्रह्म मुहूर्त
में उठें और
स्नान करते समय
नहाने के पानी
में कच्चा दूध
और गंगाजल मिलाएं।
मंदिर में झाड़ू
का दान करें।
यदि आपके घर
के आसपास कहीं
महालक्ष्मी का मंदिर
हो तो वहां
गुलाब की सुगंध
वाली अगरबत्ती का
दान करें।
किसी किन्नर से उसकी
खुशी से एक
रुपया लें और
इस सिक्के को
अपने पर्स में
रखें।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में घर
से निकलते ही
यदि कोई सुहागन
स्त्री लाल रंग
की पारंपरिक ड्रेस
में दिख जाए
तो समझ लें
आप पर महालक्ष्मी
की कृपा होने
वाली है। यह
एक शुभ शकुन
है। ऐसा होने
पर किसी जरूरतमंद
सुहागन स्त्री को सुहाग
की सामग्री दान
करें।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में लक्ष्मी
पूजन के समय
हल्दी की गांठ
भी रखें। पूजन
समाप्ति पर हल्दी
की गांठ को
घर में उस
स्थान पर रखें
जहां धन रखा
जाता है।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में लक्ष्मी
और कुबेर देव
का पूजन करें
और यहां दिए
एक मंत्र का
जप कम से
कम 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय
कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये
धन-धान्य समृद्धि
मम देहि दापय
स्वाहा।
महालक्ष्मी
के पूजन में
गोमती चक्र भी
रखना चाहिए। गोमती
चक्र भी घर
में धन संबंधी
लाभ दिलाता है।
रात को सोने
से पहले किसी
चौराहे पर तेल
का दीपक जलाएं
और घर लौटकर
आ जाएं।
श्रेष्ठ मुहूर्त में अशोक
के पेड़ के
पत्तों से वंदनद्वार
बनाएं और इसे
मुख्य दरवाजे पर
लगाएं।
किसी शिव मंदिर
जाएं और वहां
शिवलिंग पर अक्षत
यानी चावल चढ़ाएं।
खंडित चावल शिवलिंग
पर चढ़ाना नहीं
चाहिए।
अपने घर के
आसपास किसी पीपल
के पेड़ के
नीचे तेल का
दीपक जलाएं। ध्यान
रखें दीपक लगाकर
अपने घर लौट
आए, पीछे पलटकर
न देखें।
यदि संभव हो
सके तो दीपावली
की देर रात
तक घर का
मुख्य दरवाजा खुला
रखें। दिवाली की
रात में महालक्ष्मी
पृथ्वी पर भ्रमण
करती हैं और
अपने भक्तों के
घर जाती हैं।
महालक्ष्मी
के पूजन में
पीली कौडिय़ा भी
रखनी चाहिए। ये
कौडिय़ा पूजन में
रखने से महालक्ष्मी
बहुत ही जल्द
प्रसन्न होती हैं।
श्रेष्ठ मुहूर्त में लक्ष्मी
पूजन के साथ
ही अपनी दुकान,
कम्प्यूटर आदि ऐसी
चीजों की भी
पूजा करें, जो
आपकी कमाई का
साधन हैं।
लक्ष्मी पूजन के
समय एक नारियल
लें और उस
पर अक्षत, कुमकुम,
पुष्प आदि अर्पित
करें और उसे
भी पूजा में
रखें।
पीपल के 11 पत्ते तोड़ें
और उन श्रीराम
का नाम लिखें।
राम नाम लिखने
के बाद इन
पत्तों की माला
बनाएं और हनुमानजी
को अर्पित करें।
प्रथम पूज्य श्रीगणेश को
दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा
की 21 गांठ गणेशजी
को चढ़ाने से
उनकी कृपा प्राप्त
होती है। किसी
भी श्रेष्ठ मुहूर्त
में यह उपाय
करने से गणेशजी
के साथ महालक्ष्मी
की कृपा भी
प्राप्त होती है।
प्रतिदिन सुबह घर
से निकलने से
पहले केसर का
तिलक लगाएं। ऐसा
हर रोज करें,
महालक्ष्मी की कृपा
प्राप्त होगी।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में किसी
गरीब व्यक्ति को
काले कंबल का
दान करें। ऐसा
करने पर शनि
और राहु-केतु
के दोष शांत
होंगे और कार्यों
में आ रही
रुकावटें दूर हो
जाएंगी।
महालक्ष्मी
के पूजन में
दक्षिणावर्ती शंख भी
रखना चाहिए। इसकी
पूजा करने पर
घर में सुख-शांति का वास
होता है।
महालक्ष्मी
के चित्र का
पूजन करें, जिसमें
लक्ष्मी अपने स्वामी
भगवान विष्णु के
पैरों के पास
बैठी हैं।
घर में हमेशा
शांति बनाए रखें।
किसी भी प्रकार
का क्लेश, वाद-विवाद न करें।
जिस घर में
शांति रहती है
वहां देवी लक्ष्मी
हमेशा निवास करती
हैं।
स्नान के बाद
अच्छे वस्त्र धारण
करें और सूर्य
को जल अर्पित
करें। जल अर्पित
करने के साथ
ही लाल पुष्प
भी चढ़ाएं।
किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद
व्यक्ति को अनाज
का दान करें।
अनाज के साथ
ही वस्त्र का
दान करना भी
श्रेष्ठ रहता है।
महालक्ष्मी
के मंत्र: ऊँ
श्रीं ह्रीं श्रीं
कमले कमलालये प्रसीद
प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं
ऊँ महालक्ष्मयै नम:
इस मंत्र का जप
करें। मंत्र जप
के लिए कमल
के गट्टे की
माला का उपयोग
करें। किसी भी
श्रेष्ठ मुहूर्त में कम
से कम 108 बार
इस मंत्र का
जप करें।
श्रेष्ठ मुहूर्त में श्रीयंत्र
के सामने अगरबत्ती
व दीपक लगाकर
पूर्व दिशा की
ओर मुख करके
कुश के आसन
पर बैठें। फिर
श्रीयंत्र का पूजन
करें और कमलगट्टे
की माला से
महालक्ष्मी के मंत्र:
ऊँ श्रीं ह्रीं
श्रीं कमले कमलालये
प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं
श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै
नम: का जप
करें।
घर के मुख्य
द्वार पर कुमकुम
से स्वस्तिक का
चिह्न बनाएं। द्वार
के दोनों ओर
कुमकुम से ही
शुभ-लाभ लिखें।
श्रेष्ठ मुहूर्त में श्वेतार्क
गणेश प्रतिमा घर
में लाएंगे तो
हमेशा बरकत बनी
रहेगी। परिवार के सदस्यों
को पैसों की
कमी नहीं आएगी।
किसी तालाब या नदी
में मछलियों को
आटे की गोलियां
बनाकर खिलाएं। शास्त्रों
के अनुसार इस
पुण्य कर्म से
बड़े-बड़े संकट
भी दूर हो
जाते हैं।
घर में स्थित
तुलसी के पौधे
के पास रात
में दीपक जलाएं।
तुलसी को वस्त्र
अर्पित करें।
स्फटिक से बना
श्रीयंत्र किसी भी
श्रेष्ठ मुहूर्त में बाजार
से खरीदकर लाएं।
श्रीयंत्र को लाल
वस्त्र में लपेटकर
तिजोरी में रखें।
कभी भी पैसों
की कमी नहीं
होगी।
प्रतिदिन सुबह-सुबह
शिवलिंग पर तांबे
के लोटे से
जल अर्पित करें।
जल में यदि
केसर भी डालेंगे
तो श्रेष्ठ रहेगा।
धन का संचय
करने के लिए
तिजोरी में लाल
रंग का कपड़ा
बिछाएँ।
श्रेष्ठ मुहूर्त में 3 अभिमंत्रित
गोमती चक्र, 3 पीली
कौडिय़ां और 3 हल्दी
गांठों को एक
पीले कपड़ें में
बांधें और इसे
तिजोरी में रख
दें।
धन की कमी
को दूर करने
के लिए किसी
पीपल के वृक्ष
एक पत्ता तोड़ें।
उस पत्ते पर
कुमकुम या चंदन
से श्रीराम का
लिखें। इसके बाद
पत्ते पर मिठाई
रखें और यह
हनुमानजी को अर्पित
करें।
हर अमावस्या पर पूरे
घर की अच्छी
तरह से साफ-सफाई करें।
इसके बाद घर
में धूप दीपक
जलाएँ।
सप्ताह में एक
बार सुहागिन स्त्री
को सुहाग का
सामना दान करें।
ऐसा करने से
देवी लक्ष्मी प्रसन्न
होती है और
धन की समस्या
दूर होती है।
अपनी परेशानियों का अंत
करने के लिए
श्रेष्ठ मुहूर्त में किसी
पीपल के वृक्ष
के नीचे छोटा
सा शिवलिंग स्थापित
करें। शिवलिंग स्थापित
करके उसकी नियमित
रूप से पूजा
भी करें।
स्थिर लग्न में
महालक्ष्मी का पूजन
करें। इस लग्न
में पूजा करने
पर घर में
स्थाई लक्ष्मी निवास
करती है।
लक्ष्मी पूजा में
लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र
और श्रीयंत्र रखें।
एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्त शंख,
हत्थाजोड़ी की भी
पूजा करें।
हनुमान जी को
प्रसन्न करने के
लिए पीपल के
वृक्ष के नीचे
बैठकर हनुमान चालीसा
का पाठ करें।
इससे चमत्कारी फल
प्राप्त होता है।
लक्ष्मी पूजा में
दीपक दाएं, अगरबत्ती
बाएं, पुष्य सामने
व नैवेद्य थाली
में दक्षिण दिशा
में रखें। महालक्ष्मी
को तुलसी के
पत्ते भी चढ़ाएँ।
लक्ष्मी पूजन के
बाद घर के
सभी कमरों में
शंख और घंटी
बजाएँ। ऐसा करने
से दरिद्रता का
नाश होता है।
किसी भी श्रेष्ठ
मुहूर्त में श्रीसूक्त
एवं कनकधारा स्तोत्र
का पाठ करें।
इसके अलावा रामरक्षा
स्तोत्र या हनुमान
चालीसा या सुंदरकांड
का पाठ भी
करें।
शनि दोषों से मुक्ति
पाने के लिए
पीपल के वृक्ष
पर जल चढ़ाकर
सात परिक्रमा करें
और शाम के
समय पीपल के
वृक्ष के नीचे
दीपक भी लगाएँ।
धनवान बनने के लिए करें ये 81 लक्ष्मी उपाय के बारे में बताने के लिए आपका धन्यवाद. जानिये धनवान, भाग्यवान बनने के 10 प्रभावशाली, चमत्कारी टोटके . देखें यह VIDEO या हमारे Youtube Channel को Subscribe करें - https://www.youtube.com/vaibhava1
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