Sunday, June 26, 2016

कुछ अनूठी वनस्पतियां


सोमवन्ती वनस्पतिः यह वनस्पति देव. भूमि हिमालय की गोद में वेदुन्ती नामक अप्सरा के श्राप से इस घोर कलियुग में सोमवन्ती नामक वनस्पति उत्पन्न हुई है।
इसका पौधा तीन फीट लंबा व इसके पत्ते मोटे होते हैं। पत्तों में पानी की मात्रा ज्यादा होती है।
देखने में मन मोह लेने वाली यह वनस्पति प्रकृति की प्यारी व स्वर्ग की दुलारी है।
इस वनस्पति के सोलह फूल आते हैं तथा बीज के चारों ओर एक दिव्य पदार्थ रहता है।
एक फूल में कम से कम 5 ग्राम तक यह पदार्थ निकलता है।
इससे वायवीय धूप बनता है जो कि तांत्रिक प्रयोगों में काम आता है।
यह धूप आक पत्तों पर रखने मात्र से अपने आप जलने लग जाता है।
इसे आग दिखाने की कोई जरूरत नहीं होती।
आज जो भी कार्य मानव को कहेंगे पूरा होगा।
यह केवल तन को सुखी रखने के लिए है।
यह कोई जादू या मंत्र नहीं है।
वस्तुतः यह धूप कई तंत्र प्रयोगों में काम आती है।
जल जगनी वनस्पति: ंयह वनस्पति पृथ्वी की गोद में लता की भांति जमीन पर पड़ी रहती है।
इसके पत्ते छोटे आकार के व देखने में अति सुंदर होते हैं।
पत्तों का रस निकालकर बोतल में भरकर रखें।
ध्यान रहे कि मात्र स्वरस ही होना चाहिए।
इस रस को आप बहती हुई नदी या तालाब में डालकर पानी पर खड़े हो सकते हैं तथा चल भी सकते हैं।
यह भी कोई मंत्र नहीं है।
आप कर सकते हैं।
यह वनस्पति पानी को बांधने की शक्ति रखती है।
इसे कटोरे में पानी बांध कर काट सकते हैं।
यह सब प्रकृति का ही चमत्कार है।
यह वनस्पति संभावती अप्सरा की देन है।
कई मानवीय असाध्य बीमारियों का इलाज इस वनस्पति के पास है।
पेट व गुदा संबंधी इलाज तत्काल होता है।
वन-कन्या-वनस्पति: हिमालय भूमि पर यह वनस्पति सौन्दर्य बिखेरे खड़ी है।
यह भयपुनिता नामक अप्सरा से ही वन-कन्या नामक वनस्पति बनी है।
इसके श्राप से हर वर्षा ऋतु में आद्र्रा नक्षत्र में स्वर्ग से बीज डाले जाते हैं।
फिर यह पौधा बड़ा होकर करीब दो मीटर लंबा पौधा बन जाता है।
इसके पत्ते पत्थर चट्टा जैसे होते हैं।
इस पौधे के समीप जाकर एक लाईन अपनी तर्जनी उंगली से खींचकर इस वनस्पति को नियमित रूप से प्रणाम करते रहे जिससे इस वनस्पति का प्रत्येक पत्ता आपको प्रणाम करता प्रतीत होगा तथा यह वनस्पति बात भी कर सकती है।

इसके पास बैठकर कोई भी साधना की जाय तो अवश्य ही सफलता मिलती है।

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