Thursday, October 27, 2016

दिवाली पूजन विधि Dewali pujan vidhi

दिवाली पूजन विधि Diwali pujan vidhi
दीपावली यानी धन और समृद्धि का त्यौहार. इस त्यौहार में गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही साथ धनाधिपति भगवान कुबेर, सरस्वती और काली माता की भी पूजा की जाती है. सरस्वती और काली भी माता लक्ष्मी के ही सात्विक और तामसिक रूप हैं. जब सरस्वती, लक्ष्मी और काली एक होती हैं तब महालक्ष्मी बन जाती हैं.
दिपावली की रात गणेश जी की पूजा से सद्बुद्धि और ज्ञान मिलता है जिससे व्यक्ति में धन कमाने की प्रेरणा आती है. व्यक्ति में इस बात की भी समझ बढ़ती है कि धन का सदुपयोग किस प्रकार करना चाहिए. माता लक्ष्मी अपनी पूजा से प्रसन्न होकर धन का वरदान देती हैं और धनधपति कुबेर धन संग्रह में सहायक होते हैं. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही दीपावली की रात गणेश लक्ष्मी के साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है.

लक्ष्मी पूजन का समय: शाम 6.04 से 8.36 तक

पूजन सामग्री - Diwali Pujan Samagri
- कलावा, रोली, सिंदूर, १ नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, 5 सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन.

पर्वोपचार - Diwali Pujan Parvochar
पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर उस पर रंगोली बनाएं. चौकी के चारों कोने पर चार दीपक जलाएं. जिस स्थान पर गणेश एवं लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी हो वहां कुछ चावल रखें. इस स्थान पर क्रमश: गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति को रखें. अगर कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की मूर्ति हो तो उसे भी रखें. लक्ष्मी माता की पूर्ण प्रसन्नता हेतु भगवान विष्णु की मूर्ति लक्ष्मी माता के बायीं ओर रखकर पूजा करनी चाहिए.

आसन बिछाकर गणपति एवं लक्ष्मी की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें 
"ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥"

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें फिर आचमन करें –
 ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:,

फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें:-
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें
चन्‍दनस्‍य महत्‍पुण्‍यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्‍यम् लक्ष्‍मी तिष्‍ठतु सर्वदा।

दीपावली पूजन हेतु संकल्प - Diwali Puja Sankalp
पंचोपचार करने बाद संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें : ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणो ऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते :- 2072 तमेऽब्दे प्लवंग नाम संवत्सरे दक्षिणायने/ हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ  (जो वार हो) रविवासरे स्वाति नक्षत्रे प्रीति योग नाग करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये.

गणपति पूजन Ganapati Pujan for Diwali
किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है. इसलिए आपको भी सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा करनी चाहिए. हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें.
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। 
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

आवाहन:
ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ
कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें.

अर्घा में जल लेकर बोलें
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्
ऊं गं गणपतये नम:.

रक्त चंदन लगाएं:
इदम रक्त चंदनम् लेपनम् 
ऊं गं गणपतये नम:,

इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर
इदम श्रीखंड चंदनम् लेपनम् 
ऊं गं गणपतये नम:,
श्रीखंड चंदन लगाएं.

इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं
"इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:.

दर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं. गणेश जी को वस्त्र पहनाएं.
इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि.

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें:
इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र:
इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.

प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें.
इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:.

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें:
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.

अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें:
एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:

इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें. जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें.

कलश पूजन - Kalash Pujan for Diwali
घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें. कलश के गले में मोली लपेटें.  नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें. हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरूण देवता का कलश में आह्वान करें.
ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:।
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।
(अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि,
ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)
इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी प्रकार वरूण देवता की पूजा करें. इसके बाद देवराज इन्द्र फिर कुबेर की पूजा करें.

लक्ष्मी पूजन Lakshmi Puja Vidhi for Diwali
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करें
ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।
गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।
लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।
नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।

इसके बाद लक्ष्मी देवी की प्रतिष्ठा करें. हाथ में अक्षत लेकर बोलें
“ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ,
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”

प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: 
ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। 
ॐ लक्ष्म्यै नमः।।

इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। 
इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। 

‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।।
ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’
इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं. 

अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं.

लक्ष्मी देवी की अंग पूजा Laxmi Ang Puja for Diwali
बायें हाथ में अक्षत लेकर दायें हाथ से थोड़ा-थोड़ा छोड़ते जायें— 
ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि
ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि,
ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि,
ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि,
ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि,
ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि,
ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि,
ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि,
ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।


अष्टसिद्धि पूजा Ashtsidhi Puja for Diwali
अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें. 
ऊं अणिम्ने नम:,
ओं महिम्ने नम:,
ऊं गरिम्णे नम:,
ओं लघिम्ने नम:,
ऊं प्राप्त्यै नम:
ऊं प्राकाम्यै नम:,
ऊं ईशितायै नम:
ओं वशितायै नम:। 

अष्टलक्ष्मी पूजन - Asht Laxmi Puja for Diwali
अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें.
ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:,
ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:,
ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:,
ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:,
ऊं लक्ष्म्यै नम:,
ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:,
ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:,
ऊं  योग लक्ष्म्यै नम:

नैवैद्य अर्पण Naivedya Arpan for Diwali Pujan  
पूजन के पश्चात देवी को
"इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि" मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें.

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र:
"इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि" बोलें.

प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें.
इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:.

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें:
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि.

अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें:
एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:.

लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करनी चाहिए फिर गल्ले की पूजा करें. पूजन के पश्चात सपरिवार आरती और क्षमा प्रार्थना करें


क्षमा प्रार्थना    - Kshama Prartha for Diwali Puja
न मंत्रं नोयंत्रं तदपिच नजाने स्तुतिमहो, न चाह्वानं ध्यानं तदपिच नजाने स्तुतिकथाः ।
नजाने मुद्रास्ते तदपिच नजाने विलपनं, परं जाने मातस्त्व दनुसरणं क्लेशहरणं॥१॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतय, विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्याच्युतिरभूत् ।
तदेतत् क्षंतव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे, कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥२॥  
              
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः संति सरलाः, परं तेषां मध्ये विरलतरलोहं तव सुतः ।
मदीयो7यंत्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे, कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति॥३॥ 
             
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता, न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापित्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे, कुपुत्रो जायेत क्वचिदप कुमाता न भवति॥४॥
                       
परित्यक्तादेवा विविध सेवाकुलतया, मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि
इदानींचेन्मातः तव यदि कृपा, नापि भविता निरालंबो लंबोदर जननि कं यामि शरणं॥५॥ 

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा, निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः, 
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं, जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ॥६॥  

चिताभस्म लेपो गरलमशनं दिक्पटधरो, जटाधारी कंठे भुजगपतहारी पशुपतिः
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं, भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदं॥७॥

न मोक्षस्याकांक्षा भवविभव वांछापिचनमे, न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः
अतस्त्वां सुयाचे जननि जननं यातु मम वै, मृडाणी रुद्राणी शिवशिव भवानीति जपतः ॥८॥      
          
नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः, किं रूक्षचिंतन परैर्नकृतं वचोभिः
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाधे, धत्से कृपामुचितमंब परं तवैव ॥९॥     
                      
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं, करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि
नैतच्छदत्वं मम भावयेथाः, क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरंति ॥१०॥   
                          
जगदंब विचित्रमत्र किं, परिपूर्ण करुणास्ति चिन्मयि
अपराधपरंपरावृतं नहि माता, समुपेक्षते सुतं ॥११॥  
                                       
मत्समः पातकी नास्ति, पापघ्नी त्वत्समा नहि
एवं ज्ञात्वा महादेवि, यथायोग्यं तथा कुरु ॥१२॥

Sunday, October 9, 2016

सरस्वती पूजा Saraswati Puja

सरस्वती पूजा
On Navami day of Dassera we observe Saraswati Puja, some persons call the saraswati puja as Ayudha Puja, and Do puja to their vehicles or equipment
By the way tomorrow is Navami i.e. Saraswati puja day

आश्वयुज शुक्ल नवम्यां मध्याह्ने नित्यकर्म समाप्य रङ्गवल्ली वितानाद्यलंकृते देशे शुद्धवस्त्राच्छन्नं पीठं निधाय तस्मिन् वेद पुराणेतिहासादि ग्रन्थजालं विन्यस्य गन्धवस्त्र पुष्पादिभिर्लंकृत्य सरस्वती पूजां आरभेत (puja instructions) (पूजा निर्देश)

At the regular Altar
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः .
ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः .
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः ..
प्रारंभ कार्यं निर्विघ्नमस्तु . शुभं शोभनमस्तु .
इष्ट देवता कुलदेवता सुप्रसन्ना वरदा भवतु ..
अनुज्ञां देहि ..

At Devii Sarasvatii Altar
 आचमनः
ॐ केशवाय स्वाहा .
ॐ नारायणाय स्वाहा .
ॐ माधवाय स्वाहा .
(sip one spoon of water after each of the above three mantras)
ॐ गोविंदाय नमः . ॐ विष्णवे नमः .
ॐ मधुसूदनाय नमः . ॐ त्रिविक्रमाय नमः .
ॐ वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः .
ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः .
ॐ दामोदराय नमः . ॐ संकर्षणाय नमः .
ॐ वासुदेवाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः .
ॐ अनिरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः .
ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारसिंहाय नमः .
ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनार्दनाय नमः .
ॐ उपेंद्राय नमः . ॐ हरये नमः .
श्री कृष्णाय नमः ..

 प्राणायामः
ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋषिः . परमात्मा देवता .
दैवी गायत्री छन्दः . प्राणायामे विनियोगः ..
ॐ भूः . ॐ भुवः . ॐ स्वः . ॐ महः .
ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ..
पुनराचमन
(Repeat aachamana 2 as given above)
ॐ आपोज्योति रसोमृतं ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम् ..
(Apply water to eyes)

 संकल्पः
(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)
ॐ श्रीमान् महागणाधिपतये नमः .
आब्रह्मलोकादाशेषादालोकालोकपर्वतात् .
ये वसन्ति द्विजा देवतास्तेभ्यो नित्यं नमो नमः ..

श्री गुरुभ्यो नमः .
श्री सरस्वत्यै नमः .
श्री वेदाय नमः .
श्री वेदपुरुषाय नमः .
इष्टदेवताभ्यो नमः .
कुलदेवताभ्यो नमः .
स्थानदेवताभ्यो नमः .
ग्रामदेवताभ्यो नमः .
वास्तुदेवताभ्यो नमः .
शचीपुरंदराभ्यां नमः .
उमामहेश्वराभ्यां नमः .
मातापितृभ्यां नमः .
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः .

सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमो नमः .
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः .
येतद्कर्मप्रधान देवताभ्यो नमो नमः ..
.. अविघ्नमस्तु ..

सुमुखश्च एकदंतश्च कपिलो गजकर्णकः .
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिपः ..
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः .
द्वादशैतानि नामानि यः पठेत् श्रुणुयादपि ..
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा .
संग्रामे संकटेश्चैव विघ्नः तस्य न जायते ..

शुक्लांबरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् .
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशांतये ..

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके .
शरण्ये त्र्यंबके देवी नारायणी नमोऽस्तुते ..
सर्वदा सर्व कार्येषु नास्ति तेषां अमंगलं .
येषां हृदिस्थो भगवान् मंगलायतनो हरिः ..

तदेव लग्नं सुदिनं तदेव ताराबलं चंद्रबलं तदेव .
विद्या बलं दैवबलं तदेव लक्ष्मीपतेः तेंघ्रिऽयुगं स्मरामि ..
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .
येषां इन्दीवर श्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ..
विनायकं गुरुं भानुं ब्रह्माविष्णुमहेश्वरान् .
सरस्वतीं प्रणम्यादौ सर्व कार्यार्थ सिद्धये ..

 षडङ्ग न्यास
(Purifying the body)
 कर न्यास
(Purifying the hands)
ॐ ह्रां . अंगुष्ठाभ्यायां नमः . हृदयाय नमः ..
(touch the thumbs)
ॐ ह्रीं . तर्जनीभ्यां नमः . शिरसे स्वाहा ..
(touch both fore fingers)
ॐ ह्रुं . मध्यमाभ्यां नमः . शिखायै वौषट् ..
(touch middle fingers)
ॐ ह्रैं . अनामिकाभ्यां नमः . कवचाय हुम् ..
(touch ring fingers)
ॐ ह्रौं . कनिष्ठिकाभ्यां नमः . नेत्रत्रयाय वौषट् ..
(touch little fingers)
ॐ ह्रः . करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः . अस्त्राय फट् ..
(touch palms and over sleeve of hands)

 दिग्बन्धन
( show mudras)
ॐ भुर्भुवस्वरोम् इति दिग्बन्धः .
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
दिशो बद्नामि ..
(shut off all directions i.e. distractions so that we can concentrate on the puujaa)

 भूमि प्रार्थना आसन पूजा
(open palms and touch the ground)
महिद्यौ पृथ्वीचन इमं यज्ञं मिमिक्षतां पिप्रतान्नो भरीमभिः ..
पृथिव्या मेरुपृष्ठ ऋषिः . सुतलं छन्दः . कूर्मो देवता ..
पृथ्वि त्व्या धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता .
त्व च धारय मां देवि पवित्रं चासनं कुरु ..

 घंटार्चना
(Pour drops of water from sha.nkha on top of the bell apply ga.ndha flower)
आगमार्थन्तु देवानां गमनार्थन्तु राक्षसां .
कुरु घंटारवं तत्र देवतावाहन लांछनं ..
ज्ञानथोऽज्ञानतोवापि कांस्य घंटान् नवादयेत् .
राक्षसानां पिशाचनां तद्देशे वसतिर्भवेत् .
तस्मात् सर्व प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत् .
घंटा देवताभ्यो नमः .
सकल पूजार्थे अक्षतान् समर्पयामि ..
(Ring the gha.nTaa)

 विघ्नेश्वर पूजा
ममोपात्त समस्त दुरितक्षयद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं करिष्यमाणस्य कर्मणः निर्विघ्नेन परिसमाप्त्यर्थं आदौ महा गणपतिं पूजनं करिष्ये ..
अस्मिन् हरिद्राबिम्बे श्रीविघ्नेश्वरं ध्यायामि .
ॐ गणानां त्वा शौनको घृत्समदो गणपतिर्जगति
गणपत्यावाहने विनियोगः ..
(pour water - signifies making a promise)
ॐ गणानां त्वा गणपतिं आवामहे .
कविं कविनामुपम श्रवस्तमम् .
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत .
आनः शृण्वन्नूतिभिः सीदसादनम् ..

भूः गणपतिं आवाहयामि .
भुवः गणपतिं आवाहयामि .
स्वः गणपतिं आवाहयामि .
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .

आसनं समर्पयामि .
पाद्यं समर्पयामि .
अर्घ्यं समर्पयामि .
आचमनीयं समर्पयामि .
स्नपयामि .
स्नानान्तरं आचमनीयं समर्पयामि .
वस्त्रं समर्पयामि .
यज्ञोपवीतं समर्पयामि .
दिव्य परिमल गन्धान् धारयामि .
पुष्पैः पूजयामि .

ॐ सुमुखाय नमः .
एकदंताय नमः .
कपिलाय नमः .
गजकर्णकाय नमः .
लंबोदराय नमः .
विकटाय नमः .
विघ्नराजाय नमः .
विनायकाय नमः .
धूमकेतवे नमः .
गणाध्यक्ष्याय नमः .
भालचन्द्राय नमः .
गजाननाय नमः .
वक्रतुण्डाय नमः .
शूर्पकर्णाय नमः .
हेरंबाय नमः .
स्कन्द पूर्वजाय नमः .
सिद्धिविनायकाय नमः .
श्रीमहागणपतये नमः .

धूपं आघ्रापयामि .
दीपं दर्शयामि .
नैवेद्यं निवेदयामि .
ताम्बूलं समर्पयामि .
फलं समर्पयामि .
दक्षिणां समर्पयामि .
कर्पूरनीराजनं दर्शयामि .
आर्तिक्यं समर्पयामि .

ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
मन्त्रपुष्पं समर्पयामि .
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि .
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
छत्रं समर्पयामि .
चामरं समर्पयामि .
गीतं समर्पयामि .
नृत्यं समर्पयामि .
वाद्यं समर्पयामि .
दर्पणं समर्पयामि .
व्यञ्जनं समर्पयामि .
आन्दोलणं समर्पयामि .
सर्व राजोपचारान् समर्पयामि ..

.. अथ प्रार्थना ..
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय कोटि सूर्य समप्रभ .
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ..

ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः . प्रार्थनां समर्पयामि .
अनया पूजा विघ्नहर्ता महागणपति प्रीयताम् ..

 प्राणायामः
ॐ भूः . ॐ भुवः . ॐ स्वः . ॐ महः .
ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ..
ॐ आपोज्योति रसोमृतं ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम् ..
(Apply water to eyes)

 संकल्पः
श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञाय प्रवर्तमानस्य अद्य ब्रह्मणोऽद्वितीय परार्धे विष्णुपदे श्री श्वेतवराह कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे भारत वर्षे भरत खंडे जंबूद्वीपे दण्डकारण्य देशे गोदावर्या दक्षिणे तीरे कृष्णवेण्यो उत्तरे तीरे परशुराम क्षेत्रे 
(or सम्युक्त अमेरिका देशे St Lewis ग्रामे or Australia देशे Victoria ग्रामे or Bahrain देशे)
शालिवाहन शके वर्तमाने व्यवहारिके दुर्मुखी नाम संवत्सरे दक्षिणायणे, शरद ऋतौ आश्वियुज मासे, शुक्ल पक्षे नवम्याम् तिथौ उत्तराषाढा नक्षत्रे सोम वासरे सर्व ग्रहेषु यथा राशि स्थान स्थितेषु सत्सु येवं गुणविशेषेण विशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ मम आत्मन श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्यर्थं मम सकुटुम्बस्य क्षेम स्थैर्य आयुरारोग्य चतुर्विध पुरुषार्थ सिध्यर्थं अंगीकृत श्री देवी व्रतांगत्वेन संपादित सामग्रय्या श्री देवी प्रीत्यर्थं यथा शक्त्या यथा मिलितोपचार द्रव्यैः श्री सूक्त पुराणोक्त मन्त्रैश्च ध्यानावाहनादि षोडशोपचारे दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वती देवीं उद्दिश्य, दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वती देवीं प्रीत्यर्थं पूजनं च देवी माहात्म्य मन्त्र पठनं करिष्ये ..

इदं फलं मयादेवी स्थापितं पुरतस्तव .
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेत् जन्मनिजन्मनि..
(keep fruits in front of the Goddess)

 दीप स्थापना
(light the lamps)
अथ देव्यै वाम भागे दीप स्थापनां करिष्ये .
अग्निनाग्नि समिध्यते कविर्ग्रहपतिर्युवा हव्यवात् जुवास्यः ..

 धान्य राशि
(Touch the grains/rice/wheat)
ॐ औषधय संवदंते सोमेन सहराज्ञ .
यस्मै कृणेति ब्राह्मणस्थं राजन् पारयामसि ..

 कलश स्थापना
ॐ आ कलशेषु धावति पवित्रे परिसिंच्यते उक्तैर्यज्ञेषु वर्धते ..
(keep kalasha on top of rice pile)
ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्वती शुतुद्रिस्तोमं सचता परुष्ण्य .
असिक्न्य मरुद्वृधे वितस्थयार्जीकीये श्रुणुह्या सुषोमय ..
(fill kalasha with water)
ॐ गंधद्वारां धुरादर्शां नित्य पुष्पं करिषिणीं .
ईश्वरिं सर्व भूतानां तामि होपह्वयेश्रियं ..
(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)
ॐ या फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पाणि .
बृहस्पति प्रसोतास्थानो मंचत्वं हसः ..
(put beetle nut in kalasha)
ॐ सहिरत्नानि दाशुषेसुवाति सविता भगः .
तम्भागं चित्रमीमहे ..
(put jewels / washed coin in kalasha)
ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सन्द्रिग्पान्न पात्स्येदु हिरण्य वर्णः .
हिरण्ययात्परियोनेर्निषद्या हिरण्यदाददत्थ्यन्नमस्मै ..
(put gold / daxina in kalasha)
ॐ कान्डात् कान्डात् परोहंति परुषः परुषः परि एवानो
दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च ..
(put duurva / karika )
ॐ अश्वत्थेवो निशदनं पर्णेवो वसतिश्कृत .
गो भाज इत्किला सथयत्स नवथ पूरुषं ..
(put five leaves in kalasha)
ॐ युवासुवासः परीवीतागात् स उश्रेयान् भवति जायमानः .
तं धीरासः कावयः उन्नयंति स्वाद्ध्यो स्वाद्ध्यो मनसा देव यंतः..
(tie cloth for kalasha)
ॐ पूर्णादर्वि परापत सुपूर्णा पुनरापठ .
वस्नेव विक्रीणावः इषमूर्जं शतकृतो ..
(copper plate and ashhTadala with ku.nkuM)

इति कलशं प्रतिष्ठापयामि ..
सकल पूजार्थे अक्षतान् समर्पयामि ..

 कलश पूजन
(continue with second kalasha)
कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः .
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ..
कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्त द्वीपा वसुंधराः .
ऋग्वेदोऽयजुर्वेदः सामवेदोह्यथर्वणः ..
अंगःश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाश्रिताः .
अत्र गायत्री सावित्री शांति पुष्टिकरी तथा ..

आयान्तु देव पूजार्थं अभिषेकार्थ सिद्धये ..
ॐ सितासिते सरिते यत्र संगथे तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतंति .
ये वैतन्वं विस्रजन्ति धीरास्ते जनसो अमृतत्त्वं भजन्ति ..

गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति .
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ..
गङ्गायै नमः . यमुनायै नमः .
गोदावर्यै नमः . सरस्वत्यै नमः .
नर्मदायै नमः . सिन्धवे नमः .
कावेर्यै नमः . पुष्पैः पूजयामि ..

.. कलशः प्रार्थनाः ..
कलशः कीर्तिमायुष्यं प्रज्ञां मेधां श्रियं बलं .
योग्यतां पापहानिं च पुण्यं वृद्धिं च साधयेत् ..
सर्व तीर्थमयो यस्मात् सर्व देवमयो यतः .
अथः हरिप्रियोसि त्वं पूर्णकुंभं नमोऽस्तुते ..
कलशदेवताभ्यो नमः .
सकल पूजार्थे अक्षतान् समर्पयामि ..

 मुद्रा
(Show mudras as you chant )
निर्वीषि करणार्थे तार्क्ष मुद्रा . (to remove poison) \footnoteGaruda's mudra:
interlock both little fingers (forms tail);
bring back of the knuckels together;
join the thumb (forms beak);
six fingers form the wings of garuda.
अमृति करणार्थे धेनु मुद्रा . (to provide nectar )\footnoteDhenu mudra :(Kaama dhenu)
hold both hands together with fingers touching each other forming a hollow and
four sets of fingers forming the nipples of udder of cow.
पवित्री करणार्थे शंख मुद्रा . (to make auspicious)\footnoteShankh mudra:
All fingers of right hand push between the thumb and the fore finger of left hand.
Other fingers of left hand grip the right hand forming a shankha like mudra.
संरक्षणार्थे चक्र मुद्रा . (to protect)\footnoteChakra mudra:
Spread all fingers wide. bring the right hand on
top of left hand with palms touching each other,
and little finger of right hand touching the thumb of left hand and vice versa.
A chakra formation is shown.
विपुलमाया करणार्थे मेरु मुद्रा . (to remove maayaa)\footnoteMeru mudra:
clasp both hands interlocking all fingers in between each other.
Open only middle fingers pointing down to earth.
a form of gadaa is shown.

 शङ्ख पूजन
(pour water from kalasha to sha.nkha add ga.ndha flower)
शङ्खं चंद्रार्क दैवतं मध्ये वरुण देवतां .
पृष्ठे प्रजापतिं विंद्याद् अग्रे गंगा सरस्वतीं ..
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करे .
नमितः सर्व देवैश्च पाञ्चजन्यं नमोऽस्तुते ..

पाञ्चजन्याय विद्महे . पावमानाय धीमहि .
तन्नो शङ्खः प्रचोदयात् ..

शङ्ख देवताभ्यो नमः .
सकल पूजार्थे अक्षतान् समर्पयामि..

 आत्मशुद्धि
( Sprinkle water from sha.nkha on puujaa items and devotees)
अपवित्रो पवित्रो वा सर्व अवस्थांगतोपि वा .
यः स्मरेत् पुंडरीकाक्षं सः बाह्याभ्यंतरः शुचिः ..

 षट् पात्र पूजा
( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
वायव्ये अर्घ्यं .
नैऋत्ये पाद्यं .
ईशान्ये आचमनीयं .
आग्नेये मधुपर्कं .
पूर्वे स्नानियं .
पश्चिमे पुनराचमनं .

पञ्चामृत पूजा
(put tulasi leaves or axataas in vessels)
क्षीरे सोमाय नमः . (keep milk in the centre)
दधिनि वायवे नमः . (curd facing east )
घृते रवये नमः . (Ghee to the south)
मधुनि सवित्रे नमः . (Honey to west)
शर्करायां विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः . (Sugar to north)

द्वारपालक पूजा
पूर्वद्वारे द्वारश्रिये नमः . धात्रे नमः . विधात्रे नमः .
दक्षिणद्वारे द्वारश्रिये नमः . चण्डाय नमः . प्रचण्डाय नमः .
पश्चिमद्वारे द्वारश्रिये नमः . जयाय नमः . विजयाय नमः .
उत्तरद्वारे द्वारश्रिये नमः . गङ्गायै नमः . यमुनायै नमः .

ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः ..
द्वारपालक पूजां समर्पयामि ..

 पीठ पूजा
पीठस्य अधोभागे आधार शक्त्यै नमः ..
आदिकूर्माय नमः ..
अनन्ताय नमः .
वराहाय नमः ..
स्वर्णवेदिकायै नमः ..
रत्नमंडपाय नमः ..
सिंहासनाय नमः ..
तन्मध्ये दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
पीठ पूजां समर्पयामि ..

 प्राण प्रतिष्ठा
(hold flowers/axataa in hand;
chant dhyaan shloka thinking of Goddess)
प्रतिमासु देवतां ध्यात्वा प्राण प्रतिष्ठा कुर्यात् .
ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा महामंत्रस्य
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर ऋषयः .
ऋग्यजुस्सामाथर्वाणि छन्दांसि .
सकलजगत्सृष्टिस्थिति संहारकारिणी प्राणशक्तिः परा देवता .
आं बीजम् . ह्रीं शक्तिः . क्रों कीलकम् .
अस्यां मूर्तौ प्राण प्रतिष्ठापने विनियोगः ..

.. करन्यासः ..
आं अंगुष्ठाभ्यां नमः ..
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ..
क्रों मध्यमाभ्यां नमः ..
आं अनामिकाभ्यां नमः ..
ह्रीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ..
क्रों करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ..

.. अङ्गन्यासः ..
आं हृदयाय नमः ..
ह्रीं शिरसे स्वाहा ..
क्रौं शिखायै वषट् ..
आं कवचाय हुं ..
ह्रीं नेत्रत्रयाय वौषट् ..
क्रौं अस्त्राय फट् ..
भूर्भुवस्वरों इति दिग्बन्धः ..

.. ध्यानम् ..
रक्ताम्भोधिस्थ पोतोल्लसदरुण सरोजाधिरूढा कराब्जैः
पाशं कोदण्ड मिक्षुद्भवमळिगुण मप्यंकुशं पंचबाणान् .
बिभ्राणासृक्कपालं त्रिनयनलसिता पीनवक्षोरुहाढ्या
देवी बालार्कवर्णा भवतु सुखकरी प्राणशक्तिः परा नः ..

लं पृथ्व्यात्मिकायै गन्धं समर्पयामि .
हं आकाशात्मिकायै पुष्पैः पूजयामि .
यं वाय्वात्मिकायै धूपमाघ्रापयामि .
रं अग्न्यात्मिकायै दीपं दर्शयामि .
वं अमृतात्मिकायै अमृत महानैवेद्यं निवेदयामि .
सं सर्वात्मिकायै सर्वोपचारपूजां समर्पयामि ..

आं, ह्रीं, क्रों, क्रों, ह्रीं, आं .
य, र, ल, व, श, ष, स, ह,
ॐ अहं सः सोऽहं सोऽहं अहं सः ..

अस्यां मूर्ते प्राण तिष्ठतु .
अस्यां मूर्ते जीवस्तिष्ठतु .
अस्यां मूर्ते सर्वेन्द्रियाणि मनस्त्वक्चक्षुः श्रोत्र जिह्वा
घ्राण वाक् पाणि पाद पायूपस्थाख्यानि
प्राण अपान व्यान उदान समानाश्चागत्य
सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा ..

असुनीते पुनरस्मासु चक्षुः पुनः प्राण मिह नो धेहि भोगम् .
ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्त मनुमते मृळायानस्वस्ति ..

पंचदशसंस्कारार्थं पंचदशवारं प्रणवजपं कृत्वा .(Do 'Om' japa fifteen times)

आवाहितो भव . स्थापितो भव . सन्निहितो भव .
सन्निरुद्धो भव . अवकुण्ठितो भव . सुप्रीतो भव .
सुप्रसन्नो भव . सुमुखो भव . वरदो भव .
प्रसीद प्रसीद ..

देवि सर्वजगन्नायिके यावत् पूजावसानकम् .
तावत्त्वं प्रीति भावेन बिंबेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ..
इमं घटं समागच्छ तिष्ठ देवगणैः सह .
शारदे समागच्छ सान्निध्यमिह कल्पय ..
(offer flowers)
.. इति प्राणप्रतिष्ठा ..

.. अथ प्रधानपूजारंभः ..
 ध्यानावहनादि
( Close eyes and bring Goddess in your mind and chant )
सरस्वतीं सत्यवासां सुधांशुसमविग्रहाम् .
स्फटिकाक्षस्त्रजं पद्मं पुस्तकंच शुकं करैः ..
चतुर्भिर्दर्धतीं देवीं चन्द्रबिंबसमाननाम् .
वल्लभामखिलार्थानां वल्लकीवादनप्रियाम् ..
भारतीं भावये देवीं भाषाणामधिदेवताम् .
भावितां हृदये सद्भिर्भामिनीं परमेष्ठिनः ..
चतुर्भुजां चन्द्रवर्णां चतुराननवल्लभाम् .
आवाहयामि वाणि त्वामाश्रितार्ति विनाशनीम् ..
(you can add more related shlokas)

अस्मिन् पुस्तकमण्डले दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वतीं आवाहयामि ..
(offer flowers to Goddess)
(show mudras to Goddess)

 आसनं
आसनं संगृहाणेदमामिते सकलामरैः .
आद्यते सर्वमुनिभिरार्तिदे सुरवैरिणाम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . आसनं समर्पयामि ..
(offer flowers/axathaas)

 पाद्यं
(offer water)
पाद्यमाद्यन्त शून्यायै वेद्यायै वेदवादिभिः .
दास्यामि वाणि वरदे देवराजसमर्चिते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पाद्यं समर्पयामि ..

 अर्घ्यं
(offer water)
अघहन्त्रि गृहाणेदं अर्घ्यं अष्टांग संयुतम् .
अंबाखिलानां जगतां अंबुजासन सुन्दरि ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . अर्घ्यं समर्पयामि ..

 आचमनीयं
(offer water or axathaa/ leave/flower)
आचम्यतां तोयमिदं आश्रितार्थ प्रदायिनि .
आत्मभूवदनावासे आधिहारिणि ते नमः ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . आचमनीयं समर्पयामि ..

 मधुपर्कं
(offer madhuparkaM) (दध्याज्यमधु संयुक्तं मधुपर्कं add ghee and madhu to the curd and mix well)
मधुपर्कं गृहाणेदं मधुसूदन वन्दिते .
मन्दस्मिते महादेवि महादेव समर्चिते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . मधुपर्कं समर्पयामि ..

 पञ्चामृतं 
पञ्चामृतं गॄहाणेदं पञ्चानन समर्चिते .
पयोदधिघृतोपेतं पञ्चपातकनाशिनि .
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पञ्चामृतं  समर्पयामि ..

 स्नानं
साध्वीनामग्रतो गण्ये साधु सङ्घ समादृते .
सरस्वति नमस्तुभ्यं स्नानं स्वीकुरु संप्रति ..

. १ पय स्नानं (milk bath)
ॐ आप्याय स्व स्वसमेतुते
विश्वतः सोमवृष्ण्यं भवावाजस्य सन्गधे ..
सुरभेस्तु समुत्पन्नं देवानां अपि दुर्लभम् .
पयो ददामि देवेशि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पयः स्नानं समर्पयामि ..
पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..

. २ दधि स्नानं (curd bath)
ॐ दधिक्रावणो अकारिषं जिष्णोरश्वस्यवाजिनः .
सुरभिनो मुखाकरत् प्राण आयुंषितारिषत् ..
चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्व देव प्रियं हि यत् .
दधि ददामि देवेशि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . दधि स्नानं समर्पयामि ..
दधि स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..

. ३ घृत स्नानं (ghee bath)
ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य योनिर्घृते श्रितो घृतंवस्यधाम
अनुष्ठधमावह मादयस्व स्वाहाकृतं वृषभ वक्षिहव्यं ..
आज्यं सुरानां आहारं आज्यं यग़्यैअ प्रतिष्ठितम् .
आज्यं पवित्रं परमं स्नानार्थं प्रतिगृह्यता ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . घृत स्नानं समर्पयामि ..
घृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..

. ४ मधु स्नानं (honey bath)
मधुवाता ऋतायथे मधुक्षरंति सिन्धवः माध्विनः संतोष्वधीः
मधुनक्त मुथोषसो मधुमत्वार्थिवं रजः मधुद्यौ रस्तुनः पित
मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमां अस्तु सूर्यः माध्वीर्गावो भवंतुनः ..
सर्वौषधि समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मधु .
स्नानर्तन्ते मया दत्तं गृहाण परमेश्वरी ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . मधु स्नानं समर्पयामि ..
मधु स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..

. ५ शर्करा स्नानं (sugar bath)
ॐ स्वादुः पवस्य दिव्याय जन्मने स्वादुदरिन्द्राय सुहवीतु नाम्ने .
स्वादुर्मित्राय वरुणाय वायवे बृहस्पतये मधुमा अदाभ्यः ..
इक्षु दन्डात् समुत्पन्ना रस्यस्निग्ध तरा शुभा .
शर्करेयं मया दत्ता स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . शर्करा स्नानं समर्पयामि ..
शर्करा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..

. ६ गंधोदक स्नानं (Sandlewood water bath)
ॐ गंधद्वारां दुराधर्शां नित्य पुष्पां करीषिणीं .
ईश्वरीं सर्व भूतानां तामि होप व्हयेश्रियं ..
हरि चंदन संभूतं हरि प्रीतेश्च गौरवात् .
सुरभि प्रिय गोविन्द गंध स्नानाय गृह्यतां ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . गंधोदक स्नानं समर्पयामि ..

. ७ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath)
ॐ कनिक्रदज्वनुशं प्रभ्रुवान. इयथिर्वाचमरितेव नावं .
सुमंगलश्च शकुने भवासि मात्वा काचिदभिभाविश्व्या विदत ..
अभ्यंगार्थं सुन्दरी देवि तैलं पुष्पादि संभवं .
सुगंध द्रव्य संमिश्रं संगृहाण जगन्माते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . अभ्यंग स्नानं समर्पयामि.

. ८ अंगोद्वर्तनकं (To clean the body)
अंगोद्वर्तनकं देवी कस्तूर्यादि विमिश्रितं .
लेपनार्थं गृहाणेदं हरिद्रा कुंकुमैर्युतं ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . अंगोद्वर्तनं समर्पयामि ..

. ९ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath)
नाना तीर्थादाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं .
स्नानार्थं च प्रयश्चमे स्वीकुरुश्व दयानिधे ..

ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . उष्णोदक स्नानं समर्पयामि ..

. १० शुद्धोदक स्नानं (Pure water bath)
sprinkle water all around
ॐ आपोहिष्टा मयो भुवः . तान ऊर्जे दधातन .
महेरणाय चक्षसे . योवः शिवतमोरसः तस्यभाजयते हनः .
उशतीरिव मातरः . तस्मा अरंगमामवो .
यस्य क्षयाय जिंवध . आपोजन यथा चनः ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ..
सकल पूजार्थे अक्षतान् समर्पयामि ..
(after sprinkling water around throw one tulasi leaf to the north)

 महा अभिषेकः / श्री सूक्तः
( Sound the bell pour water from kalasha)
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् .
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावह .. १..
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् .
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् .. २ ..
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् .
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् .. ३ ..
कांसोस्मि तां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् .
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् .. ४ ..
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं श्रियं लोके देवी जुष्टामुदाराम् .
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे .. ५ ..
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो  वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः .
तस्य फलानि तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः .. ६ ..
उपैतु मां देवी सखः कीर्तिश्च मणिना सह .
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे .. ७ ..
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् .
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुदमे गृहात् .. ८ ..
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् .
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् .. ९ ..
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि .
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः .. १० ..
कर्दमेन प्रजाभूतामयि सम्भवकर्दम .
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् .. ११ ..
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीतवसमे गृहे .
निचदेवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले .. १२ ..
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् .
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह .. १३ ..
आर्द्रां यःकरिणीं यष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् .
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह .. १४ ..
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् .
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वान्विन्देयं पुरुषानहम् .. १५ ..
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् .
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् .. १६ ..
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे .
तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् .. १७ ..
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने .
धनं मे जुषतां देवी सर्वकामांश्च देहि मे .. १८ ..
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि .
विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधत्स्व .. १९ ..
पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् .
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे .. २० ..
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः .
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते .. २१ ..
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा .
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः .. २३ ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . श्री सूक्त स्नानं समर्पयामि ..

 प्रतिष्ठापना
(Repeat 12 times)
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः ..
.. सुप्रतिष्ठमस्तु ..

 वस्त्र
(offer two pieces of cloth for the Goddess)
दुकूलद्वितयं देवि दुरितापहवैभवे .
विधिप्रिये गृहाणेदं सुधानिधिसमं शिवे .
 ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . वस्त्रयुग्मं समर्पयामि ..

 उपवीत
उपवीतं गृहाणेदं उपमाशून्यवैभवे .
हिरण्यगर्भमहिषि हिरण्मयगुणैः कृतम् .
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . उपवीतं समर्पयामि ..

 आभरणानि
वर्णरूपे गृहाणेदं स्वर्णवर्य परिष्कृतम् .
अर्णवोद्धृत रत्नाढ्यं कर्णभूषादि भूषणम् .
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . सर्व आभरणानि समर्पयामि ..

 सौभाग्य द्रव्यं (कुङ्कुम)
कुङ्कुमांजन सिंदूर कंचुकादिकं अंबिके .
सौभाग्य द्रव्यं अखिलं सुरवन्द्ये गृहाण मे ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . सौभाग्य द्रव्यं समर्पयामि ..

 गंध
अन्धकारिप्रियाराध्ये गन्धमुत्तम सौरभम् .
गृहाण वाणि वरदे गन्धर्व परिपूजिते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . गंधं समर्पयामि ..

 अक्षत
अक्षतांस्त्वं गृहाणेमानहता नमरार्चिते .
अक्षतेऽद्भुतरूपाढ्ये यक्षराजादिवन्दिते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . अक्षतान् समर्पयामि ..

 पुष्प
पुन्नाग जाती मल्लयादि पुष्पजातं गृहाण मे .
पुमर्थदायिनि परे पुस्तकाढ्य करांबुजे ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पुष्पाणि समर्पयामि ..

 अथाङ्गपूजा
ॐ पावनायै नमः . पादौ पूजयामि ..
ॐ गिरे नमः . गुल्फौ पूजयामि ..
ॐ जगद्वन्द्यायै नमः . जंघे पूजयामि ..
ॐ जलजासनायै नमः . जानुनी पूजयामि ..
ॐ उत्तमायै नमः . ऊरून् पूजयामि ..
ॐ कमलासनप्रियायै नमः . कटिं पूजयामि ..
ॐ नानाविद्यायै नमः . नाभिं पूजयामि ..
ॐ वाण्यै नमः . वक्षस्थलं पूजयामि ..
ॐ कुरंगाक्ष्यै नमः . कुचौ पूजयामि ..
ॐ कलारूपिण्यै नमः . कंठं पूजयामि ..
ॐ भाषायै नमः . बाहून् पूजयामि ..
ॐ चिरन्तनायै नमः . चिबुकं पूजयामि ..
ॐ मुग्धस्मितायै नमः . मुखं पूजयामि .
ॐ लोलेक्षणायै नमः . लोचनं पूजयामि ..
ॐ कलायै नमः . ललाटं पूजयामि ..
ॐ वर्णरूपायै नमः . कर्णौ पूजयामि ..
ॐ करुणायै नमः . कचान् पूजयामि ..
ॐ शिवायै नमः . शिरः पूजयामि ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . सर्वांगाणि पूजयामि ..

 अथ पुष्प पूजा
ॐ कामरूपायै नमः . करवीर पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ जटिलायै नमः . जाजी पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ चण्डिकायै नमः . चम्पक पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ विद्यारूपायै नमः . वकुल पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः . शतपत्र पुष्पं समर्पयामि ..

ॐ कालरात्र्यै नमः . कल्हार पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ सौम्यायै नमः . सेवन्तिका पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ महाभद्रायै नमः . मल्लिका पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ सरस्वत्यै नमः . इरुवंतिका पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः . गिरिकर्णिका पुष्पं समर्पयामि ..

ॐ अम्बिकायै नमः . आथसी पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ पद्माक्ष्यै नमः . पारिजात पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ परायै नमः . पुन्नाग पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ कलाधरायै नमः . कुन्द पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ महाबलायै नमः . मालति पुष्पं समर्पयामि ..

ॐ कान्तायै नमः . केतकी पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ महाफलायै नमः . मन्दार पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ पद्मलोचनायै नमः . पातली पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ वाण्यै नमः . अशोक पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ पद्मनिलयायै नमः . पूग पुष्पं समर्पयामि ..

ॐ दिव्याङ्गायै नमः . दादिमा पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ देव्यै नमः . देवदारु पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ सुवासिन्यै नमः . सुगन्ध राज पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ कामप्रदायै नमः . कमल पुष्पं समर्पयामि ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पुष्प पूजां समर्पयामि ..

 अथ पत्र पूजा  (puja with leaves)
ॐ सरस्वत्यै नमः . तुलसी पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महाभद्रायै नमः . जाजी पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महामायायै नमः . चम्पका पत्रं समर्पयामि ..
ॐ वरप्रदायै नमः . बिल्व पत्रं समर्पयामि ..
ॐ श्रीप्रदायै नमः . दूर्वायुग्मं समर्पयामि ..
ॐ पद्मनिलयायै नमः . सेवन्तिका पत्रं समर्पयामि ..
ॐ पद्माक्ष्यै नमः . मरुग पत्रं समर्पयामि ..
ॐ पद्मवक्त्रकायै नमः . दवन पत्रं समर्पयामि ..
ॐ शिवानुजायै नमः . करवीर पत्रं समर्पयामि ..
ॐ पुस्तकभृते नमः . विष्णु क्रान्ति पत्रं समर्पयामि ..

ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः . माचि पत्रं समर्पयामि ..
ॐ रमायै नमः . मल्लिका पत्रं समर्पयामि ..
ॐ परायै नमः . इरुवन्तिका पत्रं समर्पयामि ..
ॐ कामरूपायै नमः . अपामार्ग पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महाविद्यायै नमः . पारिजात पत्रं समर्पयामि ..

ॐ महापातक नाशिन्यै नमः . दाडिमा पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महाश्रयायै नमः . बदरी पत्रं समर्पयामि ..
ॐ मालिन्यै  नमः . देवदारु पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महाभोगायै नमः . शामी पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महाभुजायै नमः . आम्र पत्रं समर्पयामि ..

ॐ महाभागायै नमः . मन्दार पत्रं समर्पयामि ..
ॐ महोत्साहायै नमः . वट पत्रं समर्पयामि ..
ॐ दिव्याङ्गायै नमः . कमल पत्रं समर्पयामि ..
ॐ सुरवन्दितायै नमः . वेणु पत्रं समर्पयामि ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पत्रपूजां समर्पयामि ..

 सरस्वती अष्टोत्तरशतनाम पूजा
Chant Dhyaan Shlokasto concentrate on the Goddess
नमस्ते शारदे देवि काश्मीरपुरवासिनि .
त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे .. १ ..
या श्रद्धा धारणा मेधा वाग्देवी विधिवल्लभा .
भक्तजिह्वाग्रसदना शमादिगुणदायिनी .. २ ..
नमामि यामिनीं नाथ लेखालङ्कृतकुन्तलाम् .
भवानीं भवसन्तापनिर्वापणसुधानदीम् .. ३ ..
भद्रकाल्यै नमो नित्यं सरस्वत्यै नमो नमः .
वेदवेदाङ्गवेदान्तविद्यास्थानेभ्य एव च .. ४ ..
ब्रह्मस्वरूपा परमा ज्योतिरूपा सनातनी .
सर्वविद्याधिदेवी या तस्यै वाण्यै नमो नमः .. ५ ..
यया विना जगत्सर्वं शश्वज्जीवन्मृतं भवेत् .
ज्ञानाधिदेवी या तस्यै सरस्वत्यै नमो नमः .. ६ ..
यया विना जगत्सर्वं मूकमुन्मत्तवत्सदा .
या देवी वागधिष्ठात्री तस्यै वाण्यै नमो नमः .. ७ ..

ॐ सरस्वत्यै नमः .
ॐ महाभद्रायै नमः .
ॐ महामायायै नमः .
ॐ वरप्रदायै नमः .
ॐ श्रीप्रदायै नमः .
ॐ पद्मनिलयायै नमः .
ॐ पद्माक्ष्यै नमः .
ॐ पद्मवक्त्रकायै नमः .
ॐ शिवानुजायै नमः .
ॐ पुस्तकभृते नमः .

ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः .
ॐ रमायै नमः .
ॐ परायै नमः .
ॐ कामरूपायै नमः .
ॐ महाविद्यायै नमः .
ॐ महापातक नाशिन्यै नमः .
ॐ महाश्रयायै नमः .
ॐ मालिन्यै नमः .
ॐ महाभोगायै नमः .
ॐ महाभुजायै नमः .

ॐ महाभागायै नमः .
ॐ महोत्साहायै नमः .
ॐ दिव्याङ्गायै नमः .
ॐ सुरवन्दितायै नमः .
ॐ महाकाल्यै नमः .
ॐ महापाशायै नमः .
ॐ महाकारायै नमः .
ॐ महांकुशायै नमः .
ॐ पीतायै नमः .
ॐ विमलायै नमः .

ॐ विश्वायै नमः .
ॐ विद्युन्मालायै नमः .
ॐ वैष्णव्यै नमः .
ॐ चन्द्रिकायै नमः .
ॐ चन्द्रवदनायै नमः .
ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः .
ॐ सावित्यै नमः .
ॐ सुरसायै नमः .
ॐ देव्यै नमः .
ॐ दिव्यालंकारभूषितायै नमः .

ॐ वाग्देव्यै नमः .
ॐ वसुदायै नमः .
ॐ तीव्रायै नमः .
ॐ महाभद्रायै नमः .
ॐ महाबलायै नमः .
ॐ भोगदायै नमः .
ॐ भारत्यै नमः .
ॐ भामायै नमः .
ॐ गोविन्दायै नमः .
ॐ गोमत्यै नमः .

ॐ शिवायै नमः .
ॐ जटिलायै नमः .
ॐ विन्ध्यावासायै नमः .
ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः .
ॐ चण्डिकायै नमः .
ॐ वैष्णव्यै नमः .
ॐ ब्राह्मयै नमः .
ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः .
ॐ सौदामन्यै नमः .
ॐ सुधामूर्त्यै नमः .

ॐ सुभद्रायै नमः .
ॐ सुरपूजितायै नमः .
ॐ सुवासिन्यै नमः .
ॐ सुनासायै नमः .
ॐ विनिद्रायै नमः .
ॐ पद्मलोचनायै नमः .
ॐ विद्यारूपायै नमः .
ॐ विशालाक्ष्यै नमः .
ॐ ब्रह्मजायायै नमः .
ॐ महाफलायै नमः .

ॐ त्रयीमूर्तये नमः .
ॐ त्रिकालज्ञायै नमः .
ॐ त्रिगुणायै नमः .
ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः .
ॐ शंभासुरप्रमथिन्यै नमः .
ॐ शुभदायै नमः .
ॐ स्वरात्मिकायै नमः .
ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः .
ॐ चामुण्डायै नमः .
ॐ अम्बिकायै नमः .

ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः .
ॐ धूम्रलोचनमदनायै नमः .
ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः .
ॐ सौम्यायै नमः .
ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः .
ॐ कालरात्र्यै नमः .
ॐ कलाधरायै नमः .
ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः .
ॐ वाग्देव्यै नमः .
ॐ वरारोहायै नमः .

ॐ वाराह्यै नमः .
ॐ वारिजासनायै नमः .
ॐ चित्रांबरायै नमः .
ॐ चित्रगन्धायै नमः .
ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः .
ॐ कान्तायै नमः .
ॐ कामप्रदायै नमः .
ॐ वन्द्यायै नमः .
ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः .
ॐ श्वेताननायै नमः .

ॐ नीलभुजायै नमः .
ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः .
ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः .
ॐ रक्तमध्यायै नमः .
ॐ निरंजनायै नमः .
ॐ हंसासनायै नमः .
ॐ नीलजङ्घायै नमः .
ॐ ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकायै नमः .

 धूपं
दशांग गुग्गुलं धूपं चन्दनागरु संयुतम् .
समर्पितं मया भक्त्या महादेवि प्रतिगृह्यताम् ..
वनस्पति रसोद्भूतो गन्धाड्यो गन्ध उत्तमः .
धूपम् दास्यामि देवेशि महकालि गृहाणतम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . धूपं आघ्रापयामि ..

 दीपं
घृतवर्तिंसमायुक्तं महातेजो महोज्ज्वलम् .
दीपं दास्यामि देवेशि सुप्रीता भव सर्वदा ..
साज्यं त्रिवर्ति संयुक्तं वह्निना योजितुम् मया .
गृहाण मंगलं दीपं त्रैलोक्य तिमिरापहे ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . दीपं दर्शयामि ..

 नैवेद्यं
dip finger in water and write a square and 'shrii' mark inside the square. Place naivedya on 'shrii'. remove lid and sprinkle water around the vessel; place in each food item one washed leaf or flower or akshata
ॐ शारदायै विद्महे . वाग्देवी च धीमहि .
तन्नो सर्स्वती प्रचोदयात् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः ..

(show mudras)
निर्वीषिकरणार्थे तार्क्ष मुद्रा .
अमृती करणार्थे धेनु मुद्रा .
पवित्रीकरणार्थे शंख मुद्रा .
संरक्षणार्थं चक्र मुद्रा .
विपुलमाय करणार्थे मेरु मुद्रा .

(Touch naivedya and chant 9 times)' ॐ'
ॐ सत्यंतवर्तेन परिसिंचामि
(sprinkle water around the naivedya)
भोः! देवी भोजनार्थं आगश्चादि विज्ञाप्य .
(request Goddess to come for dinner)

सौवर्णे स्थालिवैर्ये मणिगणखचिते गोघृतां
सुपक्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानपि
सकलमहं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकै रूपेतं
समधु दधि घृतं क्षीर पानीय युक्तं
तांबूलं चापि देवि प्रतिदिवसमहं मनसे चिंतयामि ..

अद्य तिष्ठति यत्किञ्चित् कल्पितश्चापरंग्रिहे
पक्वान्नं च पानीयं यथोपस्कर संयुतं
यथाकालं मनुष्यार्थे मोक्ष्यमानं शरीरिभिः
तत्सर्वं देविपूजास्तु प्रयतां मे जगदीश्वरी
सुधारसं सुविफुलं आपोषणमिदं
तव गृह्ण कलशानीतं यथेष्टमुप भुज्ज्यताम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा .
(drop water from sha.nkha)

ॐ प्राणात्मने सर्सवत्यै स्वाहा .
ॐ आपानात्मने वाण्यै स्वाहा .
ॐ व्यानात्मने वाग्देव्यै स्वाहा .
ॐ उदानात्मने महाविद्यायै स्वाहा .
ॐ समानात्मने शास्त्ररूपिण्यै स्वाहा .

नैवेद्यं गृह्यतां देवि भक्ति मे अचलां कुरु .
ईप्सितं मे वरं देहि इहत्र च परां गतिं ..

श्री देव्यै नमस्तुभ्यम् महा नैवेद्यं उत्तमम् .
संगृहाण सुरश्रेष्ठिन् भक्ति मुक्ति प्रदायकम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . नैवेद्यं समर्पयामि ..
(cover face with cloth, and chant gaayatri ma.ntra 5 times or repeat 12 times OM durgaalaxmiiyuktaaM sarasvatyai namaH)
सर्वत्र अमृतोपिधान्यमसि स्वाहा ..
 उत्तरापोषणं
(Let flow water from sha.nkha)
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . उत्तरापोषणं समर्पयामि ..

 महा फलं
(put tulsi / axathaa on a big fruit)
इदं फलं मया देवी स्थापितं पुरतस्थव .
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेत् जन्मनि जन्मनि ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . महाफलं समर्पयामि .

 फलाष्टक
(put tulsi/akshata on fruits)
कूश्मान्द मातुलिंगं च कर्कती दादिमी फलम् .
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तथा ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . फलाष्टकं समर्पयामि ..

 करोद्वर्तन
कर्पूर मिश्रितं तोयं कस्तूर्यादि समंवितम् .
गृहाण परमेश्वरी करोद्वर्तनकं शुभम् ..

करोद्वर्तन्कं देवी मया दत्तं हि भक्तिथः .
चारु चंद्र प्रभां दिव्यं गृहाण जगदीश्वरी ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
करोद्वर्तनार्थे चंदनं समर्पयामि ..

 तांबूलं
एलालवंग कस्तूरी कर्पूरैः पुण्यवासिताम् .
वीटिकां मुखवासार्थं अर्पयामि सुरेश्वरि ..
पूगिफलं सतांबूलं नागवल्लि दलैर्युतम् .
ताम्बूलं गृह्यतां देवी येल लवंग सम्युक्तम् ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
पूगिफल ताम्बूलं समर्पयामि ..

 दक्षिणा
हिरण्य गर्भ गर्भस्थ हेमबीज विभावसोः .
अनन्त पुण्य फलद अतः शान्तिं प्रयच्छमे ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
सुवर्ण पुष्प दक्षिणां समर्पयामि ..

 महा नीराजन
श्रियै जातः श्रिय अनिरियाय श्रियं वायो जरित्रभ्यो ददाति
श्रियम् वसाना अमृतत्व मायान् भवन्ति सत्या समिधा मितद्रौ
श्रिय येवैनम् तच्श्रिआ मादधाति सन्तत म्रिचा वशत्क्रित्यम्
सन्तत्मै सन्धीयते प्रजया पशुभिर्य येवम् वेद ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
उत्तरनीराजनं समर्पयामि .
महानीराजनं दीपं समर्पयामि ..

 कर्पूर दीप
अर्चत प्रार्चत प्रिय मेघा सो अर्चत .
अर्चन्तु पुत्र का उत् उर न धृष्ण वर्चत ..
कर्पूरकं महाराज्ञी रंभोद्भूतं च दीपकं .
मंगलार्थं महादेवी संगृहान जगन्माते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . कर्पूर दीपं समर्पयामि ..

 आरती
\footnoteNormally, the arati is done just after we chant the slokas for mahaa niraajana and karpura deepa. All the devotees sing the arati bhajan, while one by one each person comes and gives arati. The arati plate normally has 5 small diyas (with cotton balls dipped in oil and with a fine tiri -end). Some kumukum and flowers should also be kept in the plate. The arati is done at the puja altar, accompanied by the ghanta (bell) and once everyone completes the arati, we take it to the regular altar (assuming these are different), show it there, come back and offer arati to the bell. We also offer kumkum and flowers to the bell, prostrate and then offer the arati to the devotees.

all pujas are attended by minimum 40 to max 100+. So we have one or 2 aratis depending on the size of the crowd. Since this takes a lot of time, while the devotees offer the arati, the people who are doing the puja complete all other slokas upto the mantra pushpam. Once the arati is over we chant the mantra pushpam after which everybody offers akshata or flowers.

After the visarjana puja, we offer a karpura arati in a similar fashion.
शारदे ओ विशारदे .
विघ्न विनाशनि शारदे ..
ज्योति स्वरूपिणि शारदे .
आत्म स्वरूपिणि शारदे ..
 (you can add more aaratii songs as needed)

 पुष्पांजलि
मन्दार पारिजातादि पाटली केतकानि च .
जाती चंपक पुष्पाणि गृहाणेमानि शोभने ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . पुष्पांजलि समर्पयामि ..

 प्रदक्षिणा
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च .
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणे पदे पदे ..
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव् शरणं मम .
तस्मात् कारुण्य भावेन रक्ष रक्ष सरस्वती ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . प्रदक्षिणान् समर्पयामि ..

 नमस्कार
(Try doing 21 namaskaaram;
Caution: See that you are medically fit for this exersion; do not over exert under any circumstances)

या कुन्देन्दु- तुषारहार- धवला या शुभ्र- वस्त्रावृता
     या वीणावरदण्डमन्डितकरा या श्वेतपद्मासना .
या ब्रह्माच्युत- शंकर- प्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता
     सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा .. १..

शत्येनापि नमस्कारान् कुर्वतः जगदीश्वरि .
शत जन्मार्चितम् पापं तत्क्षणदेवि नश्यति ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . नमस्कारान् समर्पयामि ..

 राजोपचार
गृहाण परमेश्वरी सरत्ने छत्र चामरे .
दर्पणं व्यञ्जनं चैव राजभोगाय यत्नतः ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
छत्रं समर्पयामि ..
चामरं समर्पयामि ..
गीतं समर्पयामि ..
नृत्यं समर्पयामि ..
वाद्यं समर्पयामि ..
दर्पणं समर्पयामि ..
व्यञ्जनं समर्पयामि ..
आन्दोलणं समर्पयामि ..
राजोपचारान् समर्पयामि ..
सर्वोपचारान् समर्पयामि ..
समस्त राजोपचारार्थे अक्षतान् समर्पयामि ..

 मंत्र पुष्प
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् .
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ..

विद्या बुद्धि धनेश्वर्य पुत्र पौत्रादि संपदः .
पुष्पांजलि प्रदानेन देहिमे ईप्सितं वरम् ..
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं समंत
पर्यायिस्यात् सार्व भौमः सार्वायुशः अंताद
परर्धत् पृथिव्यै समुद्र पर्यंतय एकरालिति तदप्येश
श्लोकोभिगीतो मरूतः परिवेष्टारो मरुत्तस्या वसन् ग्रिहे
आविक्षितास्य कामप्रेर्विश्वेदेवा सभासद इति ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः . मंत्रपुष्पं समर्पयामि ..

 प्रार्थना
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं महेश्वरि .
यत्पूजितं मयादेवि परिपूर्णं तथास्तु मे ..
अनेन मया कृतेन श्रीसरस्वतीदेवी
सुप्रीता सुप्रसन्ना वरदा भवतु .
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
इति प्रार्थ्य ..

 अर्घ्य प्रदानं
\footnotearghya pradaanam:
offering arghya by those who fasted and those who came late or those like ladies of the house who could not participate in the puujas because of other works, can now get full merit by offering arghya which is equivalent to whole puuja. 

 क्षमापणं
यस्य स्मृत्या च नाम्नोक्त्या तपः पूजा क्रियादिशु .
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तं अच्युतम् ..
मध्ये मन्त्र तन्त्र स्वर वर्ण न्यूनातिरिक्त लोप दोष
प्रायश्चितार्थं अच्युतानन्तगोविंद नामत्रयं
महामन्त्रं जपं करिष्ये ..

ॐ अच्युताय नमः . ॐ अनंताय नमः . ॐ गोविंदाय नमः
ॐ अच्युताय नमः . ॐ अनंताय नमः . ॐ गोविंदाय नमः
ॐ अच्युताय नमः . ॐ अनंताय नमः . ॐ गोविंदाय नमः
अच्युतानंतगोविन्देभ्यो नमः .
तत्सपर्या विधौ देवि यत्किन्चित्साधिकं मया .
क्षमस्व तदिदं सर्वं कृपालो शुभ लक्षणे ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .

 ब्राह्मण सुवासिनि पूजा
(wash feet wipe offer gandha kumkum flowers  fruits and gitfs and make obeisances)

.. ब्राह्मणाय वायन दानं ..
इष्ट काम्यार्थ प्रयुक्त संयगाचरित श्री सरस्वती पूजां सम्पूर्ण फल वाप्यर्थं श्रीनारायण स्वरूपाय ब्राह्मणाय
वायन दानं करिष्ये ..

श्रीनारायण स्वरूपाय ब्राह्मणाय आवाहन पूर्वक
आसन गन्ध अक्षत धूप दीपादि सकलाराधनै स्वर्चितम् .
नारायण प्रतिगृह्णातु नारायणो वै ददाति च .
नारायणो तारकोभ्यां नारायणाय नमो नमः .
भवान्यश्च महादेव्या व्रत सम्पूर्णहेतवे .
प्रीतये द्विजवर्याय वायनम् प्रददाम्यहम् ..
(offer coconuts to brahmins with dakshiNa)

वायनदानं प्रतिगृह्णातु ..
( प्रतिगृह्न्ना विलाति प्रतिवचनम्)
.. सुवासिन्ये वायन दानं ..

सरस्वती तिद्वन्तं गृह्णातु चेदं ददाति च .
उभयोस्तारक सरस्वती भवान्येते नमो नमः ..
स्वलंकृताः सुवासिन्याः पातिव्रत्येन भूषिताः .
ममाभीष्ट समृद्यर्थं प्रतिगृह्णन्तु वायनं ..
(प्रतिगृह्न्ना विलाति प्रतिवचनम्)

 शङ्ख भ्रमण
(make three rounds of sha.nkha with water like aarati and pour down; chant OM 9 times and show mudras)

इमां आपशिवतम इमं सर्वस्य भेषजे .
इमां राष्ट्रस्य वर्धिनि इमां राष्ट्र भ्रतोमत ..

 प्रसाद ग्रहणं
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके .
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
सरस्वती देवी प्रसादं शिरसा गृह्णामि ..

 तीर्थ ग्रहणं
शरीरे झर्झरी भूते व्यादिग्रस्थे कलेवरे .
औषधं जाह्नवी तोयं वैद्यो नारायणो हरिः ..
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधी विनाशनम् .
सर्व दुरितोप शमनं देवी पादोदकं शुभं ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
सरस्वती देवी तीर्थं शिरसा गृह्णामि ..
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 विसर्जन पूजा (On the next day)
आराधितानां देवतानां पुनः पूजां करिष्ये ..
.. पुनः पूजा ..
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
ध्यायामि. ध्यानं समर्पयामि. (ध्यानम्:- रक्ताम्भोधिस्थ पोतोल्लसदरुण सरोजाधिरूढा कराब्जैः......etc same as in the earlier part of the puja)
आवाहयामि .
आसनं समर्पयामि .
पाद्यं समर्पयामि .
अर्घ्यं समर्पयामि .
आचमनीयं समर्पयामि .
पञ्चामृत स्नानं समर्पयामि .
महा अभिषेकं समर्पयामि .
वस्त्रयुग्मं समर्पयामि .
यज्ञोपवीतं समर्पयामि .
गन्धं समर्पयामि .
नाना परिमल द्रव्यं समर्पयामि .
हस्तभूषणं समर्पयामि .
अक्षतान् समर्पयामि .
पुष्पं समर्पयामि .
नाना अलंकारं समर्पयामि .
अंग पूजां समर्पयामि .
पुष्प पूजां समर्पयामि .
पत्र पूजां समर्पयामि .
अष्टोत्तर पूजां समर्पयामि .
धूपं आघ्रापयामि
दीपं दर्शयामि
नैवेद्यं समर्पयामि .
महाफलं समर्पयामि .
फलाष्टकं समर्पयामि .
करोद्वर्तनकं समर्पयामि .
ताम्बूलं समर्पयामि .
दक्षिणां समर्पयामि .
महानीराजनं समर्पयामि .
कर्पूरदीपं समर्पयामि .
पुष्पांजलिं समर्पयामि .
प्रदक्षिणां समर्पयामि .
नमस्कारान् समर्पयामि .
राजोपचारं समर्पयामि .

पूजांते छत्रं समर्पयामि .
चामरं समर्पयामि .
नृत्यं समर्पयामि .
गीतं समर्पयामि .
वाद्यं समर्पयामि .
आंदोलिकारोहणं समर्पयामि .
अश्वारोहणं समर्पयामि .
गजारोहणं समर्पयामि .

मन्त्रपुष्पं समर्पयामि .
ॐ दुर्गालक्ष्मीयुक्तां सरस्वत्यै नमः .
समस्त राजोपचार देवोपचार
शक्त्युपचार भक्त्युपचार पूजां समर्पयामि ..

 कृष्णार्पणं
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् .
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ..

वर्तमाने व्यवहारिके दुर्मुखी नाम संवत्सरे दक्षिणायणे, शरद ऋतौ आश्वियुज मासे, शुक्ल पक्षे नवम्याम् तिथौ उत्तराषाढा नक्षत्रे सोम वासरे श्री सरस्वतीदेवी प्रीत्यर्थं अनेन मयाचरित कल्पोक्त श्री सरस्वतीदेवी पूजाराधनेन भगवान श्री कृष्ण प्रीयतां . प्रीतो भवतु .
श्री कृष्णार्पणमस्तु ..

 पुनर्गमनं
इमां पूजां मया देवि यथाशक्त्युपपादिताम् .
रक्षार्थं त्वं समादाय व्रज स्वस्थानमुत्तमम् ..
यान्तु देव गण सर्वे पूजां आदाय पर्तिवीम् .
इष्ट काम्यर्थ सिध्यर्थं पुनरागमनाय च ..
(Shake the kalasha)

.. श्री कृष्णार्पणमस्तु ..