Thursday, May 17, 2018

ऋग्वेद-संहिता - प्रथम मंडल सूक्त १

ऋषि मधुच्छन्दा वैश्वामित्र । देवता अग्नि । छंद गायत्री।]

ॐ अ॒ग्निमी॑ळे पु॒रोहि॑तं य॒ज्ञस्य॑ दे॒वमृत्विज॑म्। होता॑रं रत्न॒धात॑मम्॥१॥
Om - I praise Agni, the god of fire, (who is) the family priest, the divine priest/Pilot of the yajña or ritual of worship, (as well as the priest known as) Hotā, (and who) distributes great riches ||1||
हम अग्निदेव की स्तुती करते है (कैसे अग्निदेव?) जो यज्ञ (श्रेष्ठतम पारमार्थिक कर्म) के पुरोहित (Pilot आगे बढाने वाले), देवता (अनुदान देनेवाले), ऋत्विज (समयानुकूल यज्ञ का सम्पादन करनेवाले), होता (देवो का आवाहन करनेवाले) और याचको को रत्नों से (यज्ञ के लाभों से) विभूषित करने वाले है ॥१॥

अ॒ग्निः पूर्वे॑भि॒रृषि॑भि॒रीड्यो॒ नूत॑नैरु॒त। स दे॒वाँ एह व॑क्षति॥२॥
जो अग्निदेव पूर्वकालिन ऋषियो (भृगु, अंगिरादि) द्वारा प्रशंसित है। जो आधुनिक काल मे भी ऋषि कल्प वेदज्ञ विद्वानो द्वारा स्तुत्य है, वे अग्निदेव इस यज्ञ मे देवो का आवाहन करे ॥२॥
The god of fire (is) worthy of being praised and solicited by (both) the former Seers and the present ones. Let him bring the gods here! ||2||

अ॒ग्निना॑ र॒यिम॑श्नव॒त्पोष॑मे॒व दि॒वेदि॑वे। य॒शसं॑ वी॒रव॑त्तमम्॥३॥
(स्तोता द्वारा स्तुति किये जाने पर) ये बढा़ने वाले अग्निदेव मनुष्यो (यजमानो) को प्रतिदिन विवर्धमान (बढ़ने वाला) धन, यश एवं पुत्र-पौत्रादि वीर् पुरूष प्रदान करनेवाले हैं ॥३॥
Through the god of fire, may (one) obtain possessions (and) prosperity day by day indeed! (Also, may one gain) beauty and glory (along with) the greatest wealth consisting of (heroic) sons! ||3||

अग्ने॒ यं य॒ज्ञम॑ध्व॒रं वि॒श्वत॑: परि॒भूरसि॑। स इद्दे॒वेषु॑ गच्छति॥४॥
हे अग्निदेव। आप सबका रक्षण करने मे समर्थ है। आप जिस अध्वर (हिंसारहित यज्ञ) को सभी ओर से आवृत किये रहते है, वही यज्ञ देवताओं तक पहुंचता है ॥४॥
Oh god of fire, that (ritual of) worship (or) sacrifice you enclose or pervade from all sides, certainly goes to the gods ||4||

अ॒ग्निर्होता॑ क॒विक्र॑तुः स॒त्यश्चि॒त्रश्र॑वस्तमः। दे॒वो दे॒वेभि॒रा ग॑मत्॥५॥
 हे अग्निदेव। आप हवि प्रदाता, ज्ञान और कर्म की संयुक्त शक्ति के प्रेरक, सत्यरूप एवं विलक्षण रूप् युक्त है। आप देवो के साथ इस यज्ञ मे पधारें ॥५॥
(Let) Agni, the god (of fire), the real Hotā priest of wise intelligence, whose fame is most wonderful come here together with the gods 5||

यद॒ङ्ग द॒शुषे॒ त्वमग्ने॑ भ॒द्रं क॑रि॒ष्यसि॑। तवेत्तत्स॒त्यम॑ङ्गिरः॥६॥
हे अग्निदेव। आप यज्ञकरने वाले यजमान का धन, आवास, संतान एवं पशुओ की समृद्धि करके जो भी कल्याण करते है, वह भविष्य के किये जाने वाले यज्ञो के माध्यम से आपको ही प्राप्त होता है॥६॥
Oh god of fire, no doubt whatever prosperity and welfare you will (intend to) bestow --lit. "you will cause"-- upon the one who honors and serves the gods, oh Agirās, that (intention) of yours (comes) true indeed ||6||

उप॑ त्वाग्ने दि॒वेदि॑वे॒ दोषा॑वस्तर्धि॒या व॒यम्। नमो॒ भर॑न्त॒ एम॑सि॥७॥
हे जाज्वलयमान अग्निदेव । हम आपके सच्चे उपासक है। श्रेष्ठ बुद्धि द्वारा आपकी स्तुति करते है और दिन् रात, आपका सतत गुणगान करते हैं। हे देव। हमे आपका सान्निध्य प्राप्त हो ॥७॥
Oh god of fire, illuminer of the dark, we come near you day by day, bringing salutation(s) by means of prayer and understanding! ||7||

राज॑न्तमध्व॒राणां॑ गो॒पामृ॒तस्य॒ दीदि॑विम्। वर्ध॑मानं स्वे दमे॑॥८॥
हम गृहस्थ लोग दिप्तिमान, यज्ञो के रक्षक, सत्यवचनरूप व्रत को आलोकित करने वाले, यज्ञस्थल मे वृद्धि को प्राप्त करने वाले अग्निदेव के निकट स्तुतिपूर्वक आते हैं ॥८॥
(We come near you) who rule over the sacrifices who are the shining guardian of the divine law and settled order, (and who) grow and increase in your own house ||8||

स न॑: पि॒तेव॑ सू॒नवेऽग्ने॑ सूपाय॒नो भ॑व। सच॑स्वा नः स्व॒स्तये॑॥९॥
हे गाहर्पत्य अग्ने! जिस प्रकार पुत्र को पिता (बिना बाधा के) सहज की प्राप्त होता है, उसी प्रकार् आप भी (हम यजमानो के लिये) बाधारहित होकर सुखपूर्वक प्राप्त हों। आप हमारे कल्याण के लिये हमारे निकट रहे ॥९॥

Oh god of fire be easily accessible to us as a father to (his) son (and) accompany us so that (we can) obtain well-being and success! ||9||