Tuesday, March 28, 2017

श्रीराम नवमी पूजा


नवमी तिथि का प्रारंभ 25th मार्च 2018, रविवार को 08:02 पर होगा।
जिसका समापन 26th मार्च 2018, सोमवार 05:54 पर होगा।

राम नवमी का शुभ मुहूर्त = 11:14 बजे से 13:40 तक का है।
 रविवार 25th मार्च  इसी दिन रामनवमी है| 
श्री रामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार वैष्णव समुदाय में विशेषतौर पर मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताएँ
श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

1.  आज के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
2.  रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
3.  कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
4.  भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं।
5.  भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं।

राम नवमी की पूजा विधि
राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:

1.  सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
2.  पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
3.  उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
4.  खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
5.  पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।
__________________________________________________________________
(प्रस्तुत पूजा विधि श्रीरामकृष्ण मठ चेन्नई द्वारा प्रकाशित पुस्तक “पूजा विधानम्” में दी गई जानकारियों पर आधारित है |)

 श्रीराम नवमी की षोडशोपचार पूजा
पूर्वांगपूजाम्

Always while doing aachaman don’t wear the pavtra (a ring made out of darbha grass), tuck it over the ear
आचमन (puja instructions) Achaman
Pour a spoonful of water in your hand/ palm and drink it 
Saying ॐ केशवाय नम:   drink a spoonful of water
Saying ॐ नाराणाय नम: drink a spoonful of water
Saying ॐ माधवाय नम: drink a spoonful of water

Saying केशव touch the right cheek with the thumb,
Saying नारायण touch the left cheek with the thumb,
Saying माधव touch the right nostrils with index finger
Saying गोविन्द touch the left nostrils with index finger
Saying विष्णो touch the right eye with ring finger
Saying मधुसूदन touch the left eye with ring finger
Saying त्रिविक्रम touch the right ear with the little finger
Saying वामन touch the left with ear the little finger
Saying श्रीधर touch the right shoulder with five fingers touching together
Saying ह्रुषिकेश touch the left shoulder with five fingers touching together
Saying पद्मनाभ touch the breast with the palm
Saying दामोदर touch the forehead with the palm
_____________________________________
पवित्रम् धृत्वा (puja instructions) (Wear pavitram)
पवित्र धारण
(अंगूठी या कुश की पवित्र पहने, अंगूठी पहले से हो तो स्पर्श करे)
ॐ पवित्रे स्थो वैष्णव्यौ सवितुर्वः प्रसव उत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रेण सूर्यस्य रश्मिभिः। तस्त ते पवित्रपते पवित्रपूतस्य यत्कामः पुने तच्छकेयमः॥
अप उप स्पृश्य (puja instructions) (Wash your hands)
दर्भान् धारयमाणः (puja instructions)  ( hold 3 Dharbha with pavitra)

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

(अगले मंत्र को पढते हुए, कुशा से अपने और पूजन सामग्री को जल से सींचे)
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

आसन शुद्धि
(आसन पर जल छोड़कर उसे छूते हुए निम्न मंत्र पढ़े)
ॐ पृथ्वी! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि! पवित्रं कुरु चासनम्॥

शिखा बन्धन
(निम्नलिखित या गायत्री मंत्र बोलते हुए शिखा बांध ले, शिखा बंधि हुई हो तो स्पर्श करे)
चिद्रूपिणि महामाये! दिव्यतेजःसमन्विते।
तिष्ठ देवि! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
______________________
प्राणायामः
ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋषिः . परमात्मा देवता .
दैवी गायत्री छन्दः . प्राणायामे विनियोगः ..
ॐ भूः . ॐ भुवः . ॐ स्वः . ॐ महः .
ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ..
पुनराचमन
(Repeat aachamana 2 as given above)
ॐ आपोज्योति रसोमृतं ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम् ..
________________________________
आसन शुद्धि
(आसन पर जल छोड़कर उसे छूते हुए निम्न मंत्र पढ़े)
ॐ अस्य श्रीआसन महामन्त्रस्य-
पृथिव्या मेरुपृष्ठ ऋषि: सुतलं कूर्मो देवता आसने विनयोग
ॐ पृथ्वी! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि! पवित्रं चासनम् कुरु॥
________________________________________
घण्टा पूजा
जयध्वनि मन्त्रमातः स्वाहा
आगमार्थं तु देवानां गमनार्थं तु रक्षसाम् ।
घण्टारवं करोम्यादौ देवताह्वान कारणम् ॥
________________________________________
विघ्नेश्वर पूजा
ममोपात्त समस्त दुरितक्षयद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं करिष्यमाणस्य कर्मणः निर्विघ्नेन परिसमाप्त्यर्थं आदौ महा गणपतिं पूजनं करिष्ये ..
Take two spoonful of turmeric powder and with five finger make a dough of it and from this dough make a pyramid, this is called हरिद्राबिम्ब or haridra ganapati
अस्मिन् हरिद्राबिम्बे श्रीविघ्नेश्वरं ध्यायामि .
ॐ गणानां त्वा शौनको घृत्समदो गणपतिर्जगति
गणपत्यावाहने विनियोगः..
(Pour water - signifies making a promise)
ॐ गणानां त्वा गणपतिं आवामहे.
कविं कविनामुपम श्रवस्तमम्.
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत.
आनः शृण्वन्नूतिभिः सीदसादनम्..

भूः गणपतिं आवाहयामि.
भुवः गणपतिं आवाहयामि.
स्वः गणपतिं आवाहयामि.
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः.

आसनं समर्पयामि.
पाद्यं समर्पयामि.
अर्घ्यं समर्पयामि.
आचमनीयं समर्पयामि.
स्नपयामि.
स्नानान्तरं आचमनीयं समर्पयामि.
वस्त्रं समर्पयामि.
यज्ञोपवीतं समर्पयामि.
दिव्य परिमल गन्धान् धारयामि.
अक्षतान समर्पयामि.
पुष्पैः पूजयामि.

ॐ सुमुखाय नमः.
एकदंताय नमः.
कपिलाय नमः.
गजकर्णकाय नमः.
लंबोदराय नमः.
विकटाय नमः.
विघ्नराजाय नमः .
विनायकाय नमः .
धूमकेतवे नमः .
गणाध्यक्ष्याय नमः .
भालचन्द्राय नमः .
गजाननाय नमः .
वक्रतुण्डाय नमः .
शूर्पकर्णाय नमः .
हेरंबाय नमः .
स्कन्द पूर्वजाय नमः .
सिद्धिविनायकाय नमः .
श्रीमहागणपतये नमः .

धूपं आघ्रापयामि .
दीपं दर्शयामि .
नैवेद्यं निवेदयामि .
ताम्बूलं समर्पयामि .
फलं समर्पयामि .
दक्षिणां समर्पयामि .
कर्पूरनीराजनं दर्शयामि .
आर्तिक्यं समर्पयामि .
समस्तोपचारपूजाम् समर्पयामि .

ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
मन्त्रपुष्पं समर्पयामि .
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि .
ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः .
छत्रं समर्पयामि .
चामरं समर्पयामि .
गीतं समर्पयामि .
नृत्यं समर्पयामि .
वाद्यं समर्पयामि .
दर्पणं समर्पयामि.
व्यञ्जनं समर्पयामि.
आन्दोलणं समर्पयामि.
सर्व राजोपचारान् समर्पयामि..

.. अथ प्रार्थना..
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय कोटि सूर्य समप्रभ.
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा..

ॐ भूर्भुवस्वः महागणपतये नमः. प्रार्थनां समर्पयामि.
अनया पूजा विघ्नहर्ता महागणपति प्रीयताम्..
आब्रह्म लोकादा शेषादा लोकालोक पर्वतात्।
ये वसन्ति द्विजा देवास्तेभ्यो नित्यं नमो नमः ।
_______________________________
प्राणायामः
ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋषिः. परमात्मा देवता.
दैवी गायत्री छन्दः. प्राणायामे विनियोगः..
ॐ भूः. ॐ भुव . ॐ स्वः. ॐ महः.
ॐ जनः. ॐ तपः. ॐ सत्यं.
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्..
पुनराचमन
(Repeat aachamana 2 as given above)
ॐ आपोज्योति रसोमृतं ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम्..
_____________________________________________
संकल्पः
ओम् ममोपात्त समस्त -दुरितक्षयद्वारा श्री परमेश्वर-प्रीत्यर्थं, चैत्र मासे, अद्य नवम्याम् शुभतिथौ, भौमवासर -वासर-युक्तायां, पुनर्वसु -नक्षत्र-युक्तायां, शुभ-योग-शुभ-करण-एवंगुण-विशेषेण-विशिष्टायां अस्यां नवम्याम् शुभतिथौ, सीतालक्ष्मण भरतशत्रुघ्न हनुमत्समेत श्रीरामचन्द्र प्रसादेन समस्त दुरितोपशमनार्थम् समस्त मंगलावाप्त्यर्थम् ज्ञानवैराग्य सिदध्यर्थम् श्रीरामनवमीपुण्यकाले यावच्छक्ति ध्यानावाहनादि षोडोशोपचार पूजाम् करिष्ये
अपउपस्पृश्य (पानी छूकर)
_____________________________
श्रीविघ्नेशवरम् यथास्थानम् प्रतिष्ठापयामि | शोभनार्थे क्षेमाय पुनरागनाय च |
इति विघनेश्वरमुद्वास्य
________________________________
अब कलश स्थापित करें। दीपक स्थापित करें। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कलश देव मूर्ति के दाहिनी ओर स्थापित किया गया हो। कलश की स्थापना चावल या अन्न की ढेरी पर करें।
कलश पूजा
ॐ कलश देवताभ्यो नमः गन्धान् धारयामि ।
गन्धस्योपरि हरिद्राकुङ्कुमं धारयामि ।
ॐ कलश देवताभ्यो नमः अक्षतान् समर्पयामि ।
ॐ कलश देवताभ्यो नमः पुष्पैः पूजयामि ।

कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः ।
मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ॥

कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्त द्वीपा वसुंधराः ।
ऋग्वेदोऽयजुर्वेदः सामवेदोह्यथर्वणः ॥

गङ्गेच यमुनेश्चैव गोदावरी सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥
गंगायै  नमः | यमुनायै नमः |  गोदावर्यै  नमः | सरस्वत्यै  नमः | नर्मदायै  नमः|  सिंधुवे  नमः | कावेर्यै  नमः | पुष्पै पूजयामि |
अंगैश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाश्रिताः ।
अत्र गायत्री सावित्री शांति पुष्टिकरी तथा ॥
कलशं गन्ध पुष्पाक्षतैः-रभ्यर्च्य
___________________
आत्मपूजा
देहो देवालयः प्रोक्तो जीवो देव सनतनः ।
त्सजेदज्ञाननिर्माल्यम् सोहम् भावेन पूजयेत |
________________
पीठपूजा
ॐ नमो भगवते सकलगुणात्मशक्तियुक्ताय अनन्ताय योगपीठात्मने नमः'|
ॐ आधारशक्त्यै नमः । ॐ मूलप्रकृत्यै नमः । ॐ आदिवराहाय नमः । ॐ आदिकूर्माय नमः । ॐ अनन्ताय नमः । ॐ पृथिव्यै नमः ।। ॐ आदित्यादि नवग्रहदेवताभ्यो नमः | दशदिक्पालेभ्यो नमः |
_______________________________
प्राणप्रतिष्ठा
प्रतिमासु देवताम् ध्यात्वा प्राणप्रतिष्ठां कुर्यात् |
ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषयः। ऋग्यजु: सामाथर्वाणि छंदांसि | सकल जगत सृष्टि स्थिति संहारकरिणी प्राण शक्तिः परा देवता | आं बीजम् | ह्रीम् शक्तिः | क्रोम् कीलकम् |
कर न्यास
(Purifying the hands)
आं अंगुष्ठाभ्यायां नमः . (touch the thumbs)
ह्रीं  तर्जनीभ्यां नमः . (touch both fore fingers)
क्रोम् मध्यमाभ्यां नमः . (touch middle fingers)
आं अनामिकाभ्यां नमः . (touch ring fingers)

ह्रीं  कनिष्ठिकाभ्यां नमः . (touch little fingers)
क्रोम्. करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः .  (touch palms and over sleeve of hands)

षडङ्ग न्यास
(Purifying the body)
आं हृदयाय नमः .. (touch the thumbs)
ह्रीं  शिरसे स्वाहा .. (touch both fore fingers)
क्रोम् शिखायै वौषट् .. (touch middle fingers)
आं  कवचाय हुम् .. (touch ring fingers)
ह्रीं  नेत्रत्रयाय वौषट् .. (touch little fingers)
क्रोम् अस्त्राय फट् .. (touch palms and over sleeve of hands)

 दिग्बन्धन (show mudras)
ॐ भुर्भुवस्वरोम् इति दिग्बन्धः .
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
दिशो बद्धामि ..
(shut off all directions i.e. distractions so that we can concentrate on the puujaa)\

ध्यानम् 
रक्ताम्भोधिस्थ पोतोल्लसदरुण सरोजाविरुद्धा कराब्जैः,
पाशं कोदण्ड भिक्षुद्‌भवमथ गुण मप्यं अत्य कुशं पँच बाणान्‌।
बिभ्राणांसृक्कपालं त्रिनयन लसिता पीन वक्षोरुहाढ्‌याः,
देवी बालार्क वर्णा भवतु सुखकरी प्राणशक्तिः परा नः॥

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र- 
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहम्‌ प्राणा इह प्राणाः।
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं हों हंसः सोहं सोहं हंसः |
अस्यां मूर्तौ जीव जीव स्तिष्ठतु ।
अस्यां मूर्तौ सर्वेन्द्रियाणि मनस्त्वक्चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक् पाणि पाद पायूपस्थाख्यानि प्राण अपान व्यान उदान समानाश्चागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा ॥

लं पृथ्व्यात्मिकायै गन्धं समर्पयामि .
हं आकाशात्मिकायै पुष्पैः पूजयामि .
यं वाय्वात्मिकायै धूपमाघ्रापयामि .
रं अग्न्यात्मिकायै दीपं दर्शयामि .
वं अमृतात्मिकायै अमृत महानैवेद्यं निवेदयामि .
सं सर्वात्मिकायै सर्वोपचारपूजां समर्पयामि ..

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सर्वेंद्रियाणि इह सर्वेंद्रियाणि।
वाङ्‌मनस्त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक्प्राण पाद्‌पायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहा।
'असुनीते पुनरस्मासु चक्षुः पुनः प्राणमिह नो धेहि भोगम्। ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्तमनुमते मृडया नः स्वस्ति।।'
पंचदश संस्कारार्थ पंचदश वारं प्रणवजपं कृत्वा |
ॐ (15 बार) मम देहस्य पंचदश संस्काराः सम्पद्यन्ताम् इत्युक्त्वा।
विधि- जिस विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा करना हो पहले उसका षोडषोपचार पूजन करें फिर हाथ मे जल लेकर संकल्प करें फिर उपरोक्त विधि से प्राण प्रतिष्ठित करें फिर षोडषोपचार पूजन करें इस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगा।

आवाहितो भव । स्थापितो भव । सन्निहितो भव ।
सन्निरुद्धो भव । अवकुण्ठितो भव । सुप्रीतो भव ।
सुप्रसन्नो भव । सुमुखो भव । वरदो भव ।
प्रसीद प्रसीद ॥
स्वामिन् सर्व जगन्नाथ यावत् पूजावसानकम् ।
तावत्त्वं प्रीतिभावेन प्रतिमे/बिम्बेऽस्मिन् (कलशेस्मिन् प्रतिमायां ) सन्निधिं कुरु ॥
आवाहनी मुद्रान् प्रदर्शयेत् ।
इत्यादि पूर्वांगपूजाम् कृत्वा
_____________________________________________________________
प्रधानपूजा
श्रीराघवं दशरथात्मजमप्रमेयं सीतापतिं रघुकुलान्वयरत्नदीपम् |
आजानुबाहुमरविन्ददलायताक्षं रामं निशाचरविनाशकरं नमामि ||
वैदेहीसहितं सुरद्रुमतले हैमे महामण्डपे मध्ये पुष्पक आसने मणिमये वीरासने संस्थितम् |
अग्रे वाचयति प्रभञ्जनसुते तत्त्वं मुनीन्द्रैः परं व्याख्यातं भरतादिभिः परिवृतं रामं भजे श्यामलम् |
श्री सीतालक्ष्मण भरतशत्रुघ्न हनुमत्समेत श्रीरामचन्द्रं ध्यायामि |
वामे भूमिसुता पुरश्च हनुमान् पश्चात् सुमित्रासुतः
शत्रुघ्नो भरतश्च पार्श्वदलयोः वाय्वादि कोणेषु च।
सुग्रीवश्च विभीषणश्च युवराट् तारासुतो जांबवान्
मध्ये नील सरोज कोमळरुचिं रामं भजे श्यामळं॥ श्रीरामचन्द्रं आवाहयामि |
रत्नसिंहासनारूढ सर्वभूपालवन्दित | आसनं ते मया दत्तं प्रीतिं जनयसु प्रभो |
आसनं समर्पयामि |
 पादांगुष्ठ-समुद्-भूत-गंगापावित-विष्टप | पाद्यार्थमुदकंराम ददामि परिगृह्यताम् पाद्यं समर्पयामि |
वाल्यखिल्यादिभिः-र्विप्रै स्त्रिसन्धयं प्रयतात्मभिः | अर्घ्यै राराधित विभो ममार्घ्यै राम गृह्यताम् | अर्घ्यं समर्पयामि |
आचान्तांभोधिना राम मुनिना परिसेवित | मया दत्तेन तोयेन कुर्वाचमनं ईश्वर | आचमनीयं समर्पयामि |
कामधेनु-समुद्भूत क्षीरेणेन्द्रेण राघव | अभिषिक्ताखिलार्थाप्त्यै स्नाहि मदत्त-दुग्धतः | क्षीराभिषेकम् समर्पयामि |
नदीनद-समुद्रादि-तोयै-र्मन्त्राभिसंस्कृतैः | पट्टाभिषिक्तराजेन्द्र स्नाहि शुद्धजलेन मे |स्नानम् समर्पयामि |
हित्वा पीतांबरं चीरकृष्णाजिन धराच्युत | परिधत्स्वाद्य मे वस्त्रं स्वर्ण सूत्रविनिर्मितम् | वस्त्रं समर्पयामि |
राजर्षिवंश तिलक रामचन्द्र नमो स्तुते | यज्ञोपवीत विधिना निर्मितं धत्स्व मे प्रभो | उपवीतं समर्पयामि |
 कीरीटादीनि राजेन्द्र हंसकांतानि राघव | विभूषणानि धृत्वा अद्य शोभस्व सह सीतया | आभरणानि समर्पयामि |
सन्ध्या समान रुचिना नीलाभ्र समविग्रह | लिपामि ते अङ्गकं राम चन्दमेन मुदा हृदि | गन्धान् धारयामि |
अक्षतान् कुंकुमोन्मिश्रान् अक्षय्यफलदायक | अर्पये तव पदाब्जे शालि तण्डूल संभवान् | अक्षतान् समर्पयामि |
चंपकाशोक-पुन्नागै-र्जलजै-स्तुलसीदलैः | पूजयामि रघुत्त्तंस पूज्यं त्वाम् सनकादिभिः | पुष्पाणि समर्पयामि |

अथांग पूजा
अहल्योद्धारकाय नमः | पादौ पूजयामि |
विनतकल्पद्रुमाय नमः | गुल्फौ पूजयामि |
दंडकारण्यगमन जंघालाय नमः | जंघे पूजयामि |
जानुन्यस्तकराम्बुजाय नमः | जानुनी पूजयामि |
वीरासनाध्यासिने नमः | उरू पूजयामि |
पीतांबरालं कृताय नमः | कटि पूजयामि |
आकाशमध्गाय नमः | गुह्यम् पूजयामि |
अब्धिमेखलापतये नमः | नाभिम् पूजयामि |
उदरस्थित ब्रह्माण्डाय उदरम् नमः | उदरम् पूजयामि |
सीतानुलेपितकाश्मीरचन्दनाय वक्षः नमः |  वक्षः पूजयामि |
अभयप्रद शौण्डाय नमः | पार्श्वौ पूजयामि |
ज्ञानविज्ञानभासकाय नमः | हृदयम् पूजयामि |
दशानन कालरूपिणे नमः | स्कन्धौ पूजयामि |
सीताबाहुलता आलिंगिताय नमः | कण्ठम् पूजयामि |
वितरण अजित कल्पद्रुमाय नमः | हस्तान् पूजयामि |
अरिनिग्रहपराय नमः | बाहून् पूजयामि |
सुमुखाय नमः | मुखम् पूजयामि |
अनासादितपापगन्धाय नमः | नासिकाम् पूजयामि |
पुण्डरीकाक्षाय नमः | अक्षिणी पूजयामि |
कपालिपूजिताय कर्णौ नमः | कर्णौ पूजयामि |
कस्तूरी तिलकांकिताय नमः | फालम् पूजयामि |
राजाधिराज वेषाय नमः | कीरीटम् पूजयामि |
सर्वेश्वराय नमः | सर्वानि अंगानि पूजयामि |
__________________________________
॥ श्रीरामाष्टोत्तरनामावली ॥
ॐ श्रीरामाय नमः ।
ॐ रामभद्राय नमः ।
ॐ रामचन्द्राय नमः ।
ॐ शाश्वताय नमः ।
ॐ राजीवलोचनाय नमः ।
ॐ श्रीमते नमः ।
ॐ राजेन्द्राय नमः ।
ॐ रघुपुंगवाय नमः ।
ॐ जानकीवल्लभाय नमः । १०
ॐ जैत्राय नमः ।
ॐ जितामित्राय नमः ।
ॐ जनार्दनाय नमः ।
ॐ विश्वामित्रप्रियाय नमः ।
ॐ दान्ताय नमः ।
ॐ शरणत्राण तत्पराय नमः ।
ॐ वालिप्रमथनाय नमः ।
ॐ वाग्मिने नमः ।
ॐ सत्यवाचे नमः ।
ॐ सत्यविक्रमाय नमः ।
ॐ सत्यव्रताय नमः ।
ॐ व्रतधराय नमः । १०
ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः ।
ॐ कौसलेयाय नमः ।
ॐ खरध्वंसिने नमः ।
ॐ विराधवधपण्डिताय नमः ।
ॐ विभीषण परित्रात्रे नमः ।
ॐ हरकोदण्ड खँडनाय नमः ।
ॐ सप्तताल प्रभेत्त्रे नमः ।
ॐ दशग्रीव शिरोहराय नमः ।
ॐ जामद्ग्न्य महादर्पदलनाय नमः ।
ॐ ताटकान्तकाय नमः ।
ॐ वेदान्तसाराय नमः । १०
ॐ वेदात्मने नमः ।
ॐ भवरोगस्य भेषजाय नमः ।
ॐ दूषण त्रिशिरो हन्त्रे नमः ।
ॐ त्रिमूर्तये नमः ।
ॐ त्रिगुणात्मकाय नमः ।
ॐ त्रिविक्रमाय नमः ।
ॐ त्रिलोकात्मने नमः ।
ॐ पुण्यचारित्रकीर्तनाय नमः ।
ॐ त्रिलोकरक्षकाय नमः ।
ॐ धन्विने नमः ।
ॐ दण्डकारण्य पुण्यकृते नमः । १०
ॐ अहल्या शाप शमनाय नमः ।
ॐ पितृ भक्ताय नमः ।
ॐ वरप्रदाय नमः ।
ॐ जितेन्द्रियाय नमः ।
ॐ जितक्रोधाय नमः ।
ॐ जितामित्राय नमः ।
ॐ जगद्गुरवे नमः ।
ॐ ऋक्ष वानर संघातिने नमः ।
ॐ चित्रकूट समाश्रयाय नमः ।
ॐ जयन्त त्राण वरदाय नमः ।
ॐ सुमित्रापुत्र सेविताय नमः ।
ॐ सर्वदेवादि  देवाय नमः । १०
ॐ मृतवानर् जीविताय नमः ।
ॐ मायामारीचहन्त्रे नमः ।
ॐ महादेवाय नमः ।
ॐ महाभुजाय नमः ।
ॐ सर्वदेवस्तुताय नमः ।
ॐ सौम्याय नमः ।
ॐ ब्रह्मण्याय नमः ।
ॐ मुनिसंस्तुताय नमः ।
ॐ महा योगिने नमः ।
ॐ महोदराय नमः ।
ॐ सुग्रीवेप्सित राज्यदाय नमः ।
ॐ सर्वपुण्याधिक फलाय नमः । १०
ॐ स्मृत सर्वाघ नाशनाय नमः ।
ॐ आदिपुरुषाय नमः ।
ॐ परमपुरुषाय नमः ।
ॐ महापुरुषाय नमः ।
ॐ पुण्योदयाय नमः ।
ॐ दयासाराय नमः ।
ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः ।
ॐ स्मितवक्त्राय नमः ।
ॐ मितभाषिणे नमः ।
ॐ पूर्वभाषिणे नमः ।
ॐ राघवाय नमः ।
ॐ अनन्तगुण गम्भीराय नमः ।
ॐ धीरोद्दात्तगुणोत्तमाय नमः । १०
ॐ मायामानुष चरित्राय नमः ।
ॐ महादेवादिपूजिताय नमः ।
ॐ सेतुकृते नमः ।
ॐ जितवाराशये नमः ।
ॐ सर्वतीर्थमयाय नमः ।
ॐ हरये नमः ।
ॐ श्यामांगाय नमः ।
ॐ सुन्दराय नमः ।
ॐ शूराय नमः । १०
ॐ पीतवाससे नमः ।
ॐ धनुर्धराय नमः ।
ॐ सर्वयज्ञाधिपाय नमः ।
ॐ यज्वने नमः ।
ॐ जरामरणवर्जिताय नमः ।
ॐ विभीषण प्रतिष्ठात्रे नमः ।
ॐ सर्वावगुणवर्जिताय नमः ।
ॐ परमात्मने नमः ।
ॐ परस्मै ब्रह्मणे नमः । १०
ॐ सच्चिदानन्द विग्रिहाय नमः ।
ॐ परस्मै ज्योतिषे नमः ।
ॐ परस्मै धाम्ने नमः ।
ॐ पराकाशाय नमः ।
ॐ परात्पराय नमः ।
ॐ परेशाय नमः ।
ॐ पारगाय नमः ।
ॐ पाराय नमः ।
ॐ सर्वदेवात्मकाय परस्मै नमः । १०८
॥ इति रामाष्टोत्तरशत नामावलिः ॥
_________________________________________________________
उत्तरपूजा       
धूपः
चन्दननागरुकस्तूरी चन्द्र गुग्गुलु संयुतम् धूपम् गृहाण वरद धूतपापनमोस्तुते | धूपम् आघ्रापयामि धूप अनन्तरम् आचमनीयम् समर्पयामि | पुष्पै पूजयामि |

दीपं
दीपं गृहाण देवेश वर्तित्रय समन्वितम् | अन्धकारे नमस्तुभ्यम् अज्ञानम् विनिवर्तय | दीपं दर्शयामि | दीप अनन्तरम् आचमनीयम् समर्पयामि | पुष्पै पूजयामि |

नैवेद्यम्
ऊँ भूर्भुवस्सुवः नः | ॐ तत्सवितुरर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो, यो नः प्रचोदयात|
देव सवितः प्रसुव | सत्यम् त्वर्तेन परिषिंचामि | ऋतं त्वा सत्येन परिषिंचामि | अमृतोपस्तरणमसि |
प्राणाय स्वाहा। ॐ अपानाय स्वाहा। ॐ उदानाय स्वाहा। ॐ समानाय स्वाहा। ॐ स्वाहा।
शाल्यान्न पायासादीनि मोदकांश्च फलानि च | नैवेद्यम् संगृहाणेश नित्यतृप्त नमोस्तुते | महानैवेद्यम् निवेदयामि | मध्ये मध्ये अमृतपानीयम् समर्पयामि | अमृतापिधानमसि |

पूगीफल समायुक्तम् नागवल्लीदलै र्युतम् | कर्पूर चूर्ण संयुक्तम ताम्बूलम् प्रतिगृह्यताम् |
 समर्पयामि | पुष्पै पूजयामि | कर्पूर ताम्बूलम् समर्पयामि |

नीराजनम्
न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोऽयमग्निः। तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति | कर्पूर नीराजन दीपम् दर्शयामि | नीराजनान्तरम् आचमनीयम् समर्पयामि | पुष्पै पूजयामि |

मंत्र पुष्पम
यो॑‌sपां पुष्पं॒ वेद॑ | पुष्प॑वान् प्र॒जावा॓न् पशु॒मान् भ॑वति । च॒न्द्रमा॒ वा अ॒पां पुष्पम्॓ । पुष्प॑वान् प्र॒जावा॓न् पशु॒मान् भ॑वति।
मंत्र पुष्पम समर्पयामि |
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च | तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे || प्रदक्षिण नमस्कारान् समर्पयामि |
_______________________________________________________
समापन
ध्येयसदा परिभवघ्न-मभीष्टदोहं तीर्थास्पदं  शिवविरंचि-नुतं शरणेयम् | भृत्यार्तिहं प्रणतपाल भवाब्धिपोतं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥ त्यक्त्वा सुदुस्त्यजसुरेप्सितराज्यलक्ष्मीं धर्मिष्ठ आर्यवचसा यदगादरण्यम् । मायामृगं दयितयेप्सितमन्वधावद् वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥
नमस्कारान् समर्पयामि |
प्रार्थना |
(श्रीरामचन्द्र जी की कोई भजन-आरती गा सकते हैं)

छत्र चामर नृत्त गीत वाद्य समस्त राजोपचारान् समर्पयामि|
पूजान्ते क्षीरार्घ्य प्रदानं करिष्ये || राम रात्रिंचराराते क्षीरमध्वाज्य कल्पितम् | पूजान्ते अर्घ्यं मया दत्तं स्वीकृत्य वरदो भव | नान्या स्पृहा रघुपते हृदये अस्मदीेये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा | भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥
अनया पूजया श्री सीतालक्ष्मण भरतशत्रुघ्न हनुमत्समेत श्रीरामचन्द्रः प्रीयताम् |

ऊँ तत् सत् ब्रह्मार्पणमस्तु |

No comments:

Post a Comment